मुकेश अपने संस्था के जरिए ज़रूरतमंदों को कपड़े व जरूरी चीजें दान करते हैं। साथ ही, वह गांवों के स्कूलों और महिलाओं के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में वित्तीय साक्षरता और उससे जुड़ी जागरूकता के बारे में बताते हैं।
व्हाट्सअप से शुरू हुए इस बिज़नेस के लिए उनकी लागत मात्र 3, 500 रूपये रही। पहले वे सभी काम अकेले करती थीं, लेकिन अब उनके स्टाफ में सब्ज़ियां काटने के लिए 9 महिलाएं और 10 डिलीवरी एजेंट हैं!