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प्रीति टौंक

मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।

एक नहीं, दो नहीं, रोज़ आते हैं 70-80 पक्षी, जोधपुर की सना के छोटे-से घर में

By प्रीति टौंक

जोधपुर में रहनेवाली सना फिरदौस का प्रकृति और पक्षी प्रेम देखकर आप भी खुश हो जाएंगे। घर की बेकार चीजों का उपयोग करके, उन्होंने घर पर ही एक बेहद सुंदर पक्षी अभ्यारण्य बनाया है।

अच्छी नींद के लिए डाइट में शामिल करें ये 10 चीजें

By प्रीति टौंक

क्या आप भी नींद न आने पर देर रात तक फ़ोन देखते रहते हैं? तो इन नुस्खों को अपनाकर आपको अच्छी नींद लाने में मदद मिल सकती है।

मिलिए सिक्किम की इस महिला किसान से, 55 की उम्र में सीखी जैविक खेती, कमाई बढ़ी तीन गुना

By प्रीति टौंक

गैंगटॉक (सिक्किम) की दिली माया भट्टाराई को जैविक खेती और बेहतरीन मार्केटिंग प्रणाली के लिए, राज्य के "प्रगतिशील किसान पुरस्कार 2021" से सम्मानित किया गया है। जबकि आठ साल पहले तक वह रसायन वाली खेती ही किया करती थीं।

जूते हजारों के हों या लाखों के, इस अस्पताल में होता है सबका इलाज, मिलिए जूतों के इस अनोखे डॉक्टर से

By प्रीति टौंक

मिलिए सूरत के रामदास से, आठवीं पास करने के बाद से, वह मोची का काम कर रहे हैं। अपने काम से उन्हें इतना प्यार है कि आज इसी काम से उन्होंने अपना घर भी बना लिया और शहर भर में नाम भी कमा लिया।

लॉकडाउन में गई नौकरी तो खाना बनाने के हुनर से शुरू किया बिज़नेस, स्कूटर पर ही खोल ली दुकान

By प्रीति टौंक

दिल्ली के 50 वर्षीय बलवीर सिंह, पिछले कई सालों से शहर के फाइवस्टार होटल में गाड़ियां चलाने का काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान, उनकी नौकरी चली गई। हिम्मत हारे बगैर, उन्होंने अपने छोटे से स्कूटर पर ही अपना बिज़नेस शुरू कर दिया।

मानसिक रोगियों की मदद के लिए, दिन-रात हाजिर रहता है यह वकील

By प्रीति टौंक

छतरपुर, मध्यप्रदेश के डॉ. संजय शर्मा की अनोखी सेवा के बारे में, वह पिछले 30 सालों से उन लोगों के लिए काम कर रहे हैं, जो खुद के बारे में भी सोचने की शक्ति नहीं रखते।

चार साल पहले तक एक पौधा भी नहीं आता था उगाना, आज फूलों की चादर से ढका रहता है इनका घर

By प्रीति टौंक

दिल्ली की पूनम अरोरा और उनका परिवार पिछले छह सालों से प्रदूषण और शहर की भागदौड़ छोड़कर देहरादून आ गए। जगह की कमी के कारण पूनम, शहर में पौधे नहीं उगा पाती थीं, लेकिन आज उनका घर कई रंग-बिरंगे फूलों से भरा है, जिसका सीधा लाभ परिवार के स्वास्थ्य को मिला है।