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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

जॉर्ज सिडनी अरुंडेल: आज़ादी की लड़ाई में यह ब्रिटिश था भारतीयों के साथ!

By निशा डागर

इंग्लैंड के जॉर्ज सिडनी अरुंडेल ने अपना सबकुछ भारत और भारतवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।अरुंडेल का जन्म 1 दिसंबर, 1878 को इंग्लैंड में हुआ था। पर उनकी कर्मभूमि भारत थी। वे एनी बेसेंट के सहयोगियों में से एक थे। उन्होंने एक भारतीय रुक्मिणी शास्त्री से शादी की।

"अपने काम के साथ अपनी राह बनाते रहो और इस राह में दूसरों की मदद करना मत भूलो!"

By निशा डागर

मुंबई की सना शेख़ ने कॉर्पोरेट हॉस्पिटल की नौकरी छोड़ एड्स पीड़ितों के लिए काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने पुरे भारत में प्रोग्राम किया और यूनिसेफ के साथ भी जुड़ी रहीं। आज वे एमबीए की डिग्री पूरी कर कंपनी में मार्केटिंग की एसोसिएट डायरेक्टर हैं और साथ ही सोशल वर्क भी कर रही हैं।

किसान आंदोलन: दिल्ली के गुरुद्वारों ने खोले किसानों के लिए अपने दरवाज़ें!

By निशा डागर

दिल्ली में अपने हितों के लिए आंदोलन कर रहे किसानों के लिए दिल्ली के पांच बड़े गुरुद्वारों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं। जहाँ ये रह सकते हैं व लंगर में खा सकते है। बंगला साहिब गुरुद्वारा, शीशगंज गुरुद्वारा, रकाबगंज गुरुद्वारा, बापसाहिब और मजनू का टीला गुरुद्वारा इस पहल में आगे आये हैं।

अंग्रेज़ों को चकमा दे, जेल से फ़रार हुए इस क्रांतिकारी को कभी नहीं पकड़ पाई थी ब्रिटिश पुलिस!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी पंडित गेंदालाल दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1888 को उत्तर-प्रदेश के आगरा जिले के एक मई गाँव में हुआ। उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर मैनपुरी षड्यंत्र को अंजाम दिया। टीबी रोग के चलते उन्होंने 21 दिसंबर 1920 को प्राण त्याग दिए। 

कभी करते थे साइकिल मरम्मत का काम, आज हैं आईएएस अफ़सर!

By निशा डागर

अपने पिता की मौत के बाद घर की सभी जिम्मेदारियां वरुण पर आ गयीं। पर उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। बहुत से लोगों ने उनकी मदद की। आज वे आईएएस वरुण कुमार बरनवाल हैं। वे गुजरात कैडर के साल 2014 बैच के आईएएस अफ़सर हैं।

कैप्टेन गुरबचन सिंह सलारिया: वह भारतीय जिसने विदेशी धरती पर फहराया था विजय का पताका!

By निशा डागर

कैप्टेन गुरबचन सिंह सलाारिया का जन्म 29 नवंबर 1935 को पंजाब के शकगरगढ़ के पास एक गांव जनवाल (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। वे गोरखा राइफल्स में कैप्टेन थे। वे संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं।

ऑटों को सुनसान सड़क पर जाते देख इन युवकों ने पीछा कर, बचाई एक युवती की इज्ज़त!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के तीन युवक अजय नस्कर, जलाल अली मोल्लाह और शाबेद अली मोल्लाह ने एक 28 वर्षीय लड़की को एक ऑटो ड्राइवर के चुंगल से निकाल कर उसकी जान बचाई। इन तीनों ने सूझ-बुझ दिखाते हुए न सिर्फ इस लड़की को बचाया बल्कि आरोपी को पुलिस के हवाले भी किया।

एक बेहतरीन बिज़नेस टाइकून ही नहीं बल्कि एक बेहतर इंसान भी थे जेआरडी टाटा!

By निशा डागर

ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे ने टाटा कंपनी के फाउंडर मिस्टर जेआरडी टाटा की पूर्व सेक्रेटरी का इंटरव्यू किया। उन्होंने मिस्टर टाटा के साथ 15 साल काम किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट मिस्टर टाटा के व्यक्तिगत स्वाभाव के बारे में बहुत सी बाते बताई हैं जो उन्हें बहुत खास बनाती हैं।

यह मिस्त्री हर साल बन जाता है 'मॉन्स्टर मैन', ताकि करवा सके गरीब दिव्यांग बच्चों का इलाज!

By निशा डागर

कर्नाटक के उदुपी में हर साल कृष्ण-जन्माष्टमी पर स्थानीय कलाकार रंग-बिरंगे कॉस्टयूम पहनकर और करतब दिखाकर कुछ पैसे कमाते हैं। रवि भी ऐसे ही एक कलाकार हैं लेकिन वे इकट्ठा हुए पैसों से गरीब विकलांग बच्चों का इलाज करवाते हैं। उनके इस काम में इस बार मिलाप उनका सहयोग कर रहा है।