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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

1048 रैंक से 63वीं रैंक तक, इस UPSC टॉपर से जानिए कुछ ज़रूरी टिप्स!

By निशा डागर

विशाल का कहना है कि UPSC के लिए सभी छात्र एक ही सिलेबस पढ़ते हैं, इसलिए ज़रूरी यह है कि हम इस बात पर फोकस करें कि हमें अपनी नॉलेज और ज्ञान को परीक्षा में लिखना कैसे है। तभी हम कुछ अलग कर पायेंगें!

3 डस्टबिन से बड़ा बदलाव; प्लास्टिक रीसायकल, गीले कचरे से खाद, पशुओं के लिए खाना!

By निशा डागर

"हम तो सिर्फ़ यही कह सकते हैं कि चाहे मैं हूँ या फिर जिला अधिकारी, कुछ सालों बाद हमारा ट्रांसफर हो जाएगा। पर यह शहर और इस शहर के लोग तो यहीं रहेंगे, इसलिए ज़रूरी है कि आम नागरिक अपने हाथों में इस तरह के अभियानों की डोर संभाले और बदलाव लाएं।"

'गाँधी बूढ़ी': तीन गोली खाने के बाद भी नहीं रुके थे इस 71 वर्षिया सेनानी के कदम!

By निशा डागर

अपने आख़िरी पलों में भी देश की इस महान बेटी ने झंडे को गिरने नहीं दिया और उनकी जुबां पर दो ही शब्द थे, 'वन्दे मातरम'!

जैविक खेती से 40 हज़ार रुपये प्रति दिन कमा रहा है दिल्ली का यह इंजीनियर!

By निशा डागर

उनके घरवालों ने उन्हें रोका और पड़ोसियों ने मजाक बनाया, फिर भी इस 28 वर्षीय इंजीनियर ने जैविक खेती में अपना हाथ आज़माने के लिए अपने ही परिवार से ज़मीन लीज पर ली। उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है!

गाँव में उपलब्ध साधनों से ही की पानी की समस्या हल, 25 साल में 500 गांवों की बदली तस्वीर!

By निशा डागर

सिर्फ़ इतना ही नहीं, खेतों की उपज बढ़ाने से लेकर घर-घर में शौचालय बनवाने तक, अवनी मोहन सिंह ने 4 राज्यों के सैकड़ों गांवों को आत्म-निर्भर बनाया है!

इन तरीकों से बचा सकते हैं फल और सब्ज़ियाँ ख़राब होने से!

By निशा डागर

क्या आपको पता है कि आलू को प्याज के साथ रखने से, वे जल्दी ख़राब होते हैं? क्योंकि प्याज से निकलने वाली गैस और नमी की वजह से आलू में स्प्राउट्स होने लगते हैं!#LiveGreen #Lifestyle

'साल' के पत्तों से बनी 'खलीपत्र' को बनाया प्लास्टिक का विकल्प, आदिवासियों को दिया रोज़गार!

By निशा डागर

केंदुझर जिला प्रशासन की किसी भी मीटिंग या अन्य किसी आयोजन के दौरान चाय और स्नैक्स बायोडिग्रेडेबल पेपर कप और साल के पत्तों से बनी प्लेट- कटोरी में ही सर्व किये जायेंगें!

'गीली मिट्टी' के ज़रिए भूकंप और फ्लड-प्रूफ घर बना रही है यह युवती!

By निशा डागर

'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!