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मनीष गुप्ता

हिंदी कविता (Hindi Studio) और उर्दू स्टूडियो, आज की पूरी पीढ़ी की साहित्यिक चेतना झकझोरने वाले अब तक के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक/सांस्कृतिक प्रोजेक्ट के संस्थापक फ़िल्म निर्माता-निर्देशक मनीष गुप्ता लगभग डेढ़ दशक विदेश में रहने के बाद अब मुंबई में रहते हैं और पूर्णतया भारतीय साहित्य के प्रचार-प्रसार / और अपनी मातृभाषाओं के प्रति मोह जगाने के काम में संलग्न हैं.

युद्ध की विभीषिका : : कला के फूल 

By मनीष गुप्ता

आज शनीवार की चाय के साथ एक छोटा सा फूल आपकी नज़र. संस्कृत की महान रचना 'गीतगोविन्दम' का एक अंश प्रस्तुत कर रही हैं BHU से नृत्य विभाग की छात्राएँ.

युद्ध, अहिंसा, और सोशल मीडिया के बहादुर!

By मनीष गुप्ता

सेना की परिकल्पना ही इस विश्व के हित में अब नहीं है. और इस बात पर भी निबंध लिखे गए हैं - सेना विहीन विश्व कोई मुंगेरीलाल का सपना नहीं, यह संभव है और सबकी ज़रूरत भी.

(अ)प्रेम-कविता

By मनीष गुप्ता

बस इतनी है कविता. इतना ही है जीवन का सच. प्रेम भी यूँ तो सच है. लेकिन सबके लिए नहीं. सभी प्रेम के उपभोक्ता हैं. बस उपभोक्ता. प्रेम करके अपनी उड़ान को पंख देना सबके बस की बात नहीं.

26 जनवरी : इतिहास का उपयोग क्या हो?

By मनीष गुप्ता

इतिहास को समझने के लिए इंसान में विवेक भी हो, वरना जिसका जो जी चाहेगा इतिहास को घुमा फिरा कर अपना उल्लू सीधा करने निकल पड़ेगा।

पचास : साइकिल : प्रेम : शराब : कविता

By मनीष गुप्ता

पचपन-साठ के आसपास विधवा/ विदुर हुए लोगों की शादी आज 2019 में भी दुर्लभ है. अब जब बच्चों का घर बस चुका है, या बसने वाला है अकेले माँ या बाप की शादी की बात एक पाप की तरह लगती है. माँ के लिए रोया जाता है कि हाय कैसे रहेगी अब बेचारी लेकिन उनका भी नया घर बसे यह नहीं सोचा जाता.

पुरानी गली में एक शाम : इब्ने इंशा

By मनीष गुप्ता

आज की शनिवार की चाय का मकसद आपके साथ इब्ने इंशा के लिए उमड़े प्यार को साझा करना है. 'मीठी बातें - सुन्दर लोगों' में अपने आपको गिन लेने वाले इंशा जी को पढ़ना-सुनना आपके मन में सुनहला, सुगन्धित, नशीला धुआँ भर देता है.

कविता-क्लोनिंग [क्या इससे बचना सम्भव है?]

By मनीष गुप्ता

कविता लिखने की स्किल सीख सीख कर किताबें छपवाई जा रही हैं, वैसे भी आजकल कोई सम्पादन का मुआमला तो है नहीं, अपने पैसे दे कर जैसी चाहे छपवा लो, फिर सोशल मीडिया पर अपने आपको प्रमोट कर लो.

पुष्पा भारती से सब प्यार करते हैं!

By मनीष गुप्ता

आज द बेटर इंडिया और शनिवार की चाय में मनीष गुप्ता के साथ पढ़िए, डॉ. धर्मवीर भारती की रचना 'कनुप्रिया'! क्योंकि डॉ. भारती सिर्फ 'गुनाहों का देवता' के ही रचियता नहीं थे। उन्होंने 'कनुप्रिया' और 'अंधायुग' जैसी रचनाएँ भी की हैं।