जरुरी था गाने ऐसे ही गाये जाएँ जो युवा सुने या समझें और जब सावन, बिछुड़ों, लोली और केसरिया बालम जैसे मामे के गानों को भी युवा दर्शकों का प्यार मिला तब इनके लिए यह एक खुशी का मौका था।
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ईश्वरी शुक्ला
ईश्वरी शुक्ला एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में द बेटर इंडिया के साथ जुड़ी हैं।