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अलका कौशिक

अलका कौशिक की यात्राओं का फलक तिब्बत से बस्तर तक, भूमध्यसागर से अटलांटिक तट पर हिलोरें लेतीं लहरों से लेकर जाने कहां-कहां तक फैला है। अपने सफर के इस बिखराव को घुमक्कड़ साहित्य में बांधना अब उनका प्रिय शगल बन चुका है। दिल्ली में जन्मी, पली-पढ़ी यह पत्रकार, ब्लॉगर, अनुवादक अपनी यात्राओं का स्वाद हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने की जिद पाले हैं। फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में निवास।

दिल्ली टू लेह: जानिए, जमी हुई नदी पर पिकनिक मनाने के लिए कैसी होनी चाहिए तैयारी

By अलका कौशिक

चलिए दिल्ली से लेह तक के रोमांचक सफर में, अलका कौशिक के साथ। इस सफरनामे में, लेह-लद्दाख की ख़ूबसूरती बयान करते हुए, वह आपको वो सारे टिप्स भी देंगी, जो आपकी इस यात्रा के लिए ज़रूरी हैं।

लॉकडाउन की कैद के बाद कुछ इस तरह निराले सफर पर निकल पड़े घुमक्‍कड़

By अलका कौशिक

अगर होम या इंस्‍टीट्यूशनल क्वारंटाइन का ख्‍याल आपको वैकेशन पर निकलने से रोक रहा है तो उन मंजिलों के हो जाएं जहाँ न कोविड टेस्‍ट ज़रूरी है और न क्वारंटाइन।

वर्क फ्रॉम होम से उकता गए हों तो चलिए 'वर्केशन' पर, सुरक्षा के साथ बुला रहे ये पहाड़!

By अलका कौशिक

जब ऑफिस जाना पड़ता था तो कहीं भी घूमने के लिए बॉस से दो-तीन दिन की छुट्टी मिलना भी मुश्किल हो जाता था। आज जब ऑफिस का काम कहीं से भी कर सकते हैं तो क्यों न अपने घूमने के शौक ही पूरा कर लिया जाये। क्या पता फिर यह मौका मिले न मिले!

चाय के आशिकों को बुला रहे हैं ये बागान, चलिए हमारे साथ टी टूरिज्म के इस सफ़र पर

By अलका कौशिक

चाय के सफर की एक अहम् कड़ी है बागानों में पत्तियों की तुड़ान। एक कली दो पत्तियों को तोड़ती उंगलियां मुझे ध्‍यानावस्‍था की याद दिलाती हैं।

चीड़ के पत्तों से बिजली, फलों-फूलों से रंग और पहाड़ी कला, कुमाऊँ के इस अद्भुत सफर पर चलें?

By अलका कौशिक

बेरीनाग की पिछली यात्रा का हासिल था 'अवनि’ के इस सस्‍टेनेबल इकोसिस्‍टम को साक्षात देखना। पहाड़ों को देखने की एक नई निगाह दे गया था अवनी का दौरा।

वैश्विक महामारी पार्ट 4: बीती शताब्दियों की महामारियों का सबक!

By अलका कौशिक

मौजूदा समय में फिर वैश्विक महामारी से गुजर रही दुनिया एक और घातक वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है। बीती शताब्दियों की महामारियों और उनसे उपजी तबाहियों के सबक हमारे सामने हैं, वही तो गर्दिश के इस दौर की नज़ीर हैं।

जर्नलिज़्म को किया अलविदा, अब हिमाचल के कस्बों का स्वाद पहुँचातीं हैं पूरे देश तक!

By अलका कौशिक

स्थानीय हिमाचली सेल्‍फ-हेल्‍प समूहों से अचार, जैम, चटनी, चिलगोज़े, राजमा, हर्बल चाय, ऊनी सामान, शहद, क्रीम, गुट्टी का तेल वगैरह जाने क्या-क्या खरीदकर, पैकेजिंग कर, वह अपने शब्दों की चाशनी में घोलकर इन्हें ऑनलाइन बेचती हैं। अपने कलम की ताकत से अब इन महिलाओं की मदद करती हैं!

कोरोना काल में कुछ ऐसा होगा सफ़र, घूमने के शौक़ीन हो जाएँ तैयार!

By अलका कौशिक

एक दिन ऐसा भी आएगा जब कोरोनाकाल सिर्फ बुरे ख्वाब की तरह बचा रह जाएगा। लेकिन इस बुरे ख्वाब से हमने कुछ सीख हासिल की हैं, आने वाले दिनों में अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी से लेकर सैर-सपाटे पर लागू करेंगे उन्हें। हम ही क्या, समूचा पर्यटन उद्योग इसकी तैयारी में है। आइये जानते हैं कैसा होगा सफर कोविड-19 की प्रेतछाया के बीतने के बाद।

वैश्विक महामारी पार्ट 3: कहाँ से हुई थी क्‍वारंटाइन की शुरुआत?

By अलका कौशिक

इतिहास में ऐसे कई वाकयात मिलते हैं जब महामारियों पर अंकुश लगाने के लिए संक्रमितों को स्‍वस्‍थ लोगों से अलग-थलग रखा जाता था। बेशक, मध्‍यकालीन यूरोप में स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों को बैक्‍टीरिया या वायरस की जानकारी नहीं थी लेकिन वे इतना समझते थे कि रोगी को शेष स्‍वस्‍थ आबादी से अलग रखकर, या कारोबारी के जरिए आने वाली वस्‍तुओं को नहीं छूने से रोगों से बचा जा सकता है।