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कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर शुरू किया स्टार्टअप, बनाते हैं 100% प्राकृतिक टी-बैग

By निशा डागर

असम के दो दोस्त, उपामन्यु और अंशुमान ने दिल्ली में अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर चाय का स्टार्टअप शुरू किया और अब इसके ज़रिए वह 'वूलह' ब्रांड नाम से 100% प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल 'ट्रूडिप' टी-बैग बना रहे हैं!

असम: छोटे किसानों की मदद के लिए 10वीं पास ने बना दिया सस्ता और छोटा ट्रैक्टर

By निशा डागर

कनक गोगोई एक सीरियल इनोवेटर हैं और उन्हें उनकी ग्रेविटी ऑपरेटेड साइकिल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है!

पति के गुजरने के बाद,10 हज़ार रुपये से शुरू किया अचार का बिज़नेस, अब लाखों में है कमाई

By पूजा दास

बाधाओं को अवसर की तरह देखने वाली दीपाली ने अकेले ही अपनी बेटी की परवरिश की है और बिज़नेस को शून्य से शिखर तक पहुँचाया है।

केमिस्ट्री प्रोफेसर की #DIY तकनीक, 500 रुपये में लगाएँ 20 लीटर यूनिट का आर्सेनिक फिल्टर

By निशा डागर

पानी में अगर आर्सेनिक की मात्रा अधिक हो और अगर लोग लगातार यह पानी पीते रहें तो उन्हें स्किन एलर्जी से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं!

'बांस एक, उपयोग अनेक:' बांस उगाइये, बांस से बनाइए, बांस में पकाइए और बांस को भी खाइए

By निशा डागर

'हरा सोना' कहे जाने वाले बांस की भारत में 100 से भी ज्यादा प्रजातियाँ हैं। कुछ का उपयोग घर, फर्नीचर, बर्तन और हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बनाने के लिए होता है तो कुछ का उपयोग खाने के लिए भी किया जाता है!

2 लाख रुपये प्रति किलो: असम के इस वैज्ञानिक से सीखिए ये जादुई मशरूम उगाने का तरीका

असम की बोडोलैंड यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर काम करने वाले डॉ. संदीप दास ने इस तरह के मशरूम की खोज जंगलों से की है।

चाय के आशिकों को बुला रहे हैं ये बागान, चलिए हमारे साथ टी टूरिज्म के इस सफ़र पर

By अलका कौशिक

चाय के सफर की एक अहम् कड़ी है बागानों में पत्तियों की तुड़ान। एक कली दो पत्तियों को तोड़ती उंगलियां मुझे ध्‍यानावस्‍था की याद दिलाती हैं।

असम: 21 वर्षीया छात्रा ने स्टोर को बनाया स्कूल, स्लम के बच्चों को मुफ्त में देती हैं शिक्षा!

By निशा डागर

जूली ने अपने घर में काम करने वाली दीदी के बेटे को पढ़ाना शुरू किया था, जब उन्हें महसूस हुआ कि स्लम में और भी बहुत बच्चे हैं, जिन्हें शिक्षा से जोड़ना ज़रूरी है!

ड्राइवर से लेकर उद्यमी बनने तक, इस महिला ने 10,000 से अधिक महिलाओं को बनाया सशक्त!

“यह दोष देने या खुद पर तरस खाने का समय नहीं था। मुझे उन हालातों का सामना करना था और उन्हें हर हाल में बेहतर बनाना था।“ - मंदिरा बरूआ