कहते हैं न बच्चों को पढ़ाना कोई खेल नहीं, सच भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों को खेल-खेल में काफी कुछ नया सीखाया जा सकता है? आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे ही शिक्षक (inspiring teacher) की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो अपने स्कूल के बच्चों को हर कुछ खेल-खेल में ही सीखा रहे हैं।
यह प्रेरक कहानी राजकोट के जसदण तालुका स्थित वडोद गांव के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक (inspiring teacher), गिरीशभाई बावलिया की है। वह अलग-अलग विषयों के मॉडल बनाकर बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं।u
गिरीशभाई ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं घर पर समय मिलने पर खुद अलग-अलग मॉडल बनाता हूं, जिससे बच्चों को कुछ नए तरीके से खेल खेल में पढ़ाया जा सके।”
गिरीशभाई ने सबसे पहली बार 2004 में शिवराजपुर गांव में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया था। वहां उन्होंने साल 2018 तक काम किया और फिर H TAT (Head Teacher Aptitude Test) परीक्षा पास की और वडोद प्राइमरी स्कूल में नौकरी करने लगे।
उन्होंने जब स्कूल ज्वाइन किया था, उस समय वहां लगभग 230 बच्चे रजिस्टर्ड थे लेकिन नियमित रूप से केवल 120 बच्चे ही स्कूल आते थे।
स्कूल में बच्चों की उपस्थिति की समस्या के लिए, उन्होंने सबसे पहले घर-घर जाकर बच्चों के माता-पिता से उन्हें स्कूल भेजने की अपील की। इस दौरान जब वह अभिभावकों से मिल रहे थे तब कई लोगों ने उन्हें स्कूल में बुनियादी सुविधा और साफ-सफाई की कमी के बारे में शिकायत की थी।
कई बच्चों ने स्कूल में रजिस्ट्रेशन तो करवाया था लेकिन पढ़ाई बाहर करते थे। उसके बाद गिरीशभाई ने स्कूल की सफाई का जिम्मा उठाया और 10 दिनों की छुट्टी लेकर स्कूल का कायाकल्प कर दिया।
वह कहते हैं, “स्कूल की सफाई और सुंदर बिल्डिंग को देखकर धीरे-धीरे बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी और नए बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ने आने लगे।
कैसे आया कबाड़ से मॉडल बनाने का आईडिया
गिरीशभाई (inspiring teacher) बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अच्छा काम करना चाहते थे। वह समय-समय पर बच्चों को अलग- अलग मेलों और प्रदर्शनियां दिखाने ले जाते थे। 2019 में वह बच्चों को एक विज्ञान मेले में घुमाने ले गए। वहीं एक बच्चे ने उनसे पूछा, “सर, मिसाइल क्या है और कैसी दिखती है?
वह कहते हैं,”उस समय तो मैंने उसे फोटो दिखाया और उससे कहा कि जब तुम सामने से इसे देखोगे, तब अच्छे से समझ में आएगा। लेकिन मुझे पता था कि मैंने मिसाइल के बारे में जो भी समझाया है, बच्चे ने उसे सही तरीके से नहीं समझा है। तभी मुझे मॉडल बनाकर इस तरह के उपकरणों को बच्चों को दिखाने का विचार आया।”
गिरीशभाई (inspiring teacher) ने जनवरी 2019 में मिसाइल का पहला मॉडल बनाया, फिर सौर मंडल, रोबोट, तोप, उपग्रह, लड़ाकू विमान, पृथ्वी और परमाणु जैसे कई मॉडल बना डाले।
वह कहते हैं, “जब भी मैं कोई प्रोडक्ट बनाता हूं, उसे अच्छी तरह से समझ कर घर पर ही तैयार करता हूं। बाद में उसके सारे पार्ट्स अलग-अलग करके स्कूल में ले जाता हूं। वहां स्कूल के बड़े बच्चों से उनके पार्ट्स को ज्वाइन करके मॉडल तैयार करने को कहता हूं। इस तरह से बच्चे से आसानी से मॉडल को समझ जाते हैं।”
कबाड़ से बनाते हैं बढ़िया मॉडल
सबसे अच्छी बात तो यह है कि वह इन अलग-अलग मॉडल्स को बनाने के लिए कई बेकार वस्तुओं को रीसायकल करते हैं। प्रत्येक मॉडल में मुख्य रूप से पीवीसी पाइप जैसी चीजें होती हैं, जो कबाड़ में आराम से मिल जाती है।
मॉडल का विषय कितना भी जटिल हो, वह बच्चों को आसान तरीका सिखाने के लिए रिसर्च भी करते हैं। गिरीशभाई (inspiring teacher) ने आजतक सभी मॉडल, खुद के खर्च पर तैयार किया है। इसके लिए वह किसी से मदद नहीं लेते हैं।
वहीं जो भी मॉडल वह तैयार करते हैं, उसे स्कूल में ही रख देते हैं, जिससे भविष्य में भी दूसरे बच्चे इन मॉडल्स से सीख सकें।
वह पिछले ढाई साल में नौ मॉडल्स बना चुके हैं। सभी मॉडल्स में अलग-अलग वस्तुओं का इस्तेमाल हुआ है और सबको बनाने में प्रोजेक्ट के अनुसार समय लगता है।
अपने सबसे मुश्किल मॉडल के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, “मुझे तोप बनाने में सबसे अधिक समय लगा था, वह थोड़ा कठिन भी था। तोप को मैंने सीमेंट से बनाया था जिसका पूरा वजन 170 किलो है। इसका आकार भी मैंने खुद बनाया और इसे बनाने में मुझे 15 दिन लगे थे।”
तोप बनाने के पीछे की कहानी के बारे में गिरीशभाई कहते हैं, “एक बार एक शिक्षक सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहा था और उसी समय मैं भी उस क्लास
पहुंचा। तभी एक लड़के ने मुझसे पूछा कि तोप क्या है? मैंने उसी समय क्लास के टीचर को कहा कि हमें बच्चों को एक तोप दिखानी चाहिए। गांव के करीब स्थित एक होटल में तोप का मॉडल था, हमने बच्चों को यह दिखाया। लेकिन बाद में मैंने खुद बच्चों के लिए तोप का मॉडल बनाया।”
15 दिनों में तैयार किया तोप का मॉडल
गिरीशभाई (inspiring teacher) ने क्रॉसिंग पाइप में छड़ डालकर सीमेंट कंक्रीट का गोल राउंड बनाया। इसे पूरा गोल करने के लिए, वह हर दिन देर रात तक बैठकर काम करते रहते थे। इस प्रकार 15 दिनों में उन्होंने तोप बनाया, जिसकी लागत केवल 1250 रुपये ही थी। जबकि उन्होंने बताया कि बाजार में इसकी कीमत लगभग 45000 रुपये है।
ऐसे ही, उन्होंने एक लड़ाकू विमान भी बनाया था। उन्होंने पीवीसी पाइप का इस्तेमाल विमान की फायरिंग गन बनाने के लिए किया। यह उनके बनाए मॉडल्स में सबसे महंगा हैं, जिसकी लागत तक़रीबन 3500 रुपये थी।
यह सारा काम वह घर पर ही करते हैं, इसलिए घर के लोग भी इस काम में उनकी मदद करते हैं। खासकर उनका 11 साल का बेटा विवेक उनकी सबसे अधिक मदद करता है।
इन सभी कामों के अलावा, गिरीशभाई (inspiring teacher) स्कूल परिसर में वृक्षारोपण भी करते हैं। उनका कहना हैं, “जब मैं यहां आया था तब स्कूल परिसर में केवल 11 पेड़ थे। आज बच्चों ने यहां 200 से ज्यादा पेड़ लगा दिए हैं, साथ ही एक औषधि बाग भी बनाया है।”
इन दिनों वह बच्चों को अणु-परमाणु विषय समझाने के लिए एक मॉडल तैयार करने का काम रहे हैं। वह इस मॉडल को क्लास 8 के बच्चों के लिए बना रहे हैं, ताकि उन्हें पहले से ही पता हो कि अणु-परमाणु क्या होता है।
हमें उम्मीद है कि आप सभी को गिरीशभाई बावलिया की इस कहानी से प्रेरणा मिली होगी। द बेटर इंडिया गुजरात के इस जुनूनी टीचर के जज्बे को सलाम करता है।
मूल लेख- किशन दवे
संपादन- जी एन झा
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