श्रमिकों के शुक्रिया करने का अनोखा अंदाज़, आश्रय बने सरकारी स्कूल की बदली सूरत
सरपंच बताते हैं कि कुछ प्रवासी श्रमिकों ने स्कूल को चमकाया तो दूसरे भी खाली नहीं बैठे। कोई श्रमिक पौधों की देखभाल और इन्हें पानी देने के काम में जुटा है तो कोई निराई गुड़ाई करने लगता है। कोई अन्य कार्य में हाथ बंटाता है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के इस दौर में कुछ खबरें चेहरे पर मुस्कान ला देती है। राजस्थान के सीकर जिले के पलसाना में कुछ श्रमिकों को प्रशासन ने क्वारंटाइन किया तो गांव वालों ने बजाय उनसे परहेज बरतने के उनकी इस कदर आवभगत कि श्रमिक अभिभूत हो गए। जिस स्कूल में वे सभी रुके थे, उन्होंने उसी स्कूल की दीवारों को पेंट कर स्कूल कैंपस को खूबसूरत बनाकर ग्रामीणों को अनोखे अंदाज में शुक्रिया कहा।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वर्तमान उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी गांव के सरपंच और इन श्रमिकों के कार्य को सराहा है। साथ ही, अपनी ओर से हर तरह के सहयोग की बात कही है। श्रमिकों के इस कार्य के लिए गांव वाले उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे।
54 प्रवासी श्रमिक किए गए थे क्वारंटाइन
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पलसाना गांव के सरपंच रूप सिंह पलसाना बताते हैं कि 29 मार्च को उनके पास जिला प्रशासन से फोन आया। उनसे कहा गया कि गांव के शहीद सीताराम कुमावत व सेठ केएल तांबी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवासी श्रमिकों के लिए राहत कैंप लगाया जाना है। भोजन की व्यवस्था उन्हें करनी होगी। रूप सिंह के मुताबिक कैंप में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुल 54 श्रमिक ठहराए गए। इनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वह जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहती थीं। हमने उन्हें भरोसा दिलाया कि गांव में उन्हें किसी भी तरह कुछ दिक्कत महसूस नहीं होने दी जाएगी।
सरपंच रूप सिंह पलसाना
उन्होंने कहा, “हमने यही कोशिश भी की। हम और कुछ नहीं कर सकते थे, ऐसे में हमने सोचा कि उन्हें खाने पीने में किसी तरह की कमी नहीं होने देंगे। अच्छे से अच्छा भोजन मुहैया कराएंगे। “
कैंप में घर से जैसा माहौल
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कैंप में प्रवासी श्रमिकों की आमद हो चुकी थी। इन श्रमिकों को कैंप जैसा महसूस न हो, इसके लिए गांव वालों ने उन्हें हर दिन अलग-अलग मेन्यू के अनुसार भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।
स्कूल में आश्रित प्रवासी मज़दूरों के लिए खाना बनाते ग्रामीण
सरपंच रूप सिंह पलसाना बताते हैं कि भोजन की शुरुआत राजस्थान की प्रसिद्ध बाटी-चूरमा के साथ हुई। इसके बाद कभी हलवा-पूरी तो कभी कोई और व्यंजन उनके लिए बनवाया गया। पोषण के लिए दिन में कोई न कोई फल जरूर बांटा जाता था। गांव वाले अतिथि देवो भव: के सिद्धांत पर यकीन करते हैं। वह श्रमिकों की सेवा को अपना कर्तव्य समझकर जुट गए थे। हर कोई अपनी ओर से राशन को लेकर हरसंभव मदद कर रहा था।
और श्रमिक बोले-हम आपके लिए कुछ करना चाहते हैं
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पलसाना के सरपंच रूप सिंह पलसाना के मुताबिक प्रवासी श्रमिक गांव वालों की आवभगत से बेहद अभिभूत थे। शायद वह इसकी उम्मीद नहीं कर रहे थे।
पलसाना बताते हैं कि हरियाणा के कुछ श्रमिकों ने उनसे आकर कहा, “ हम बैठकर खाने वालों में से नहीं हैं। आपने हमारे लिए इतना किया है। अब हम आपके लिए कुछ करना चाहते हैं। मुझे समझ नहीं आया कि उनसे क्या कहा जाए। मैंने उन्हीं से पूछा कि आप क्या कर सकते हैं तो ऐसे में चार-पांच श्रमिकों ने कहा कि हम रंगाई-पुताई का काम करते हैं। आप हमें कुछ रंग और ब्रश मुहैया करा दीजिए। हम स्कूल को खूबसूरत रंग देना चाहते हैं।“
पहले स्कूल की हालत
रूप सिंह के अनुसार श्रमिकों के आग्रह पर वह कलर और ब्रश लेकर आ गए। हिसार (हरियाणा) के बरवाला गांव के ओमप्रकाश, हरियाणा के ही शंकर सिंह चौहान और रवि के साथ राजस्थान के ताराचंद ने अपना काम शुरू कर दिया। अगले दिन सुबह जब स्कूल को चमचमाते देखा तो हर किसी की आंखें चमक उठीं।
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आश्रितों के रंगने के बाद चकाचक हुआ स्कूल
स्कूल स्टाफ, पुरातन छात्रों ने भी जमा किए डेढ़ लाख
श्रमिकों ने अनोखे अंदाज में गांव वालों को रंग भरा तोहफा दे दिया था। स्कूल कैंपस, खेल मैदान की दीवारें दमक रही थी। किसी ने इससे पहले सोचा ही नहीं था कि रातों-रात स्कूल की सूरत इतनी बदली दिखेगी। श्रमिकों की लगन देखी तो स्कूल के स्टाफ का भी हौसला बुलंदी छूने लगा।
स्कूल की दीवारों को रंगते आश्रित मज़दूर
स्कूल प्रिंसिपल राजेंद्र मीणा की अगुवाई में स्कूल के लिए कुछ धनराशि जुटाने की योजना बनी। इस पुनीत कार्य में स्कूल के पुरातन छात्र भी आ जुटे। सभी ने आपसी सहयोग कर गांव के अन्य लोगों की मदद से स्कूल के लिए डेढ़ लाख रुपए जुटाए। और यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। अब सबकी इच्छा यह है कि स्कूल का यह सुंदर रंग इसी तरह कायम रहे। खुद गांव वाले भी अब इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
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हर किसी ने क्षमता के अनुसार दिया सहयोग
सरपंच बताते हैं कि कुछ प्रवासी श्रमिकों ने स्कूल को चमकाया तो दूसरे भी खाली नहीं बैठे। कोई श्रमिक पौधों की देखभाल और इन्हें पानी देने के काम में जुटा है तो कोई निराई गुड़ाई करने लगता है। कोई अन्य कार्य में हाथ बंटाता है। बकौल रूप सिंह पलसाना वह श्रमिकों के इस आत्मसम्मान की इज्जत करते हैं। श्रमिकों ने बताया है कि परिस्थिति कैसी भी हो। हम सब एक हैं और एक दूसरे के सहयोग से ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
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अब नहीं रुकेगा यह सिलसिला
पलसाना के सरपंच रूप सिंह बताते हैं कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने फ़ोन कर गांव वालों की आवभगत की भी सराहना की। रूप सिंह के अनुसार इसके पश्चात राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्य सचिव महेश जोशी ने भी उनसे बात की। किसी भी तरह की दिक्कत पर मदद का भरोसा दिलाया।
रूप सिंह के अनुसार मेहमान भगवान के समान होता है, हमारी यह सोच है। अब यह क्रम जारी रहेगा, रुकेगा नहीं। गांव वालों के सहयोग से जरूरतमंदों की मदद और उनको भोजन मुहैया कराने का यह सिलसिला वह कायम रखेंगे।
पलसाना के सरपंच रूप सिंह पलसाना से उनके मोबाइल नंबर 9672189199 पर संपर्क किया जा सकता है।
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