हम अक्सर भोजन की शक्ति को कम आँकते हैं। यह केवल हमारे पेट को नहीं भरता है बल्कि हमारी सबसे कीमती यादों से जुड़ी खुशी का स्रोत भी होता है। खाने के प्रति समान प्रेम हमें एक-दूसरे के करीब लाता है और कुछ इस तरह से जोड़ता है जिसे शायद शब्दों को बयान करना मुश्किल है।
मुनाफ कपाड़िया को अपनी माँ के हाथों का पका खाना बेहद पसंद है। समय के साथ उनका माँ के हाथों बने व्यंजनों के लिए प्यार और सराहना बढ़ती ही गई। मुनाफ का संबंध दाउदी बोहरा समुदाय से है। बचपन से ही उन्होंने अपने घर पर अपनी मां के हाथों के स्वादिष्ट व्यंजन, जैसे स्मोक्ड कीमा समोसा, काजू चिकन और नल्ली निहारी के स्वाद का मज़ा लिया है। मुनाफ ने ध्यान दिया कि जिन व्यंजनों के अद्भुत स्वाद का मज़ा उन्होंने लिया है, वह बहुत ज़्यादा जगह उपलब्ध नहीं है।
मुनाफ ने एक अलग तरह की पहल शुरु की। उन्होंने लोगों को घर पर बुला कर, उन्हें अपने घर पर पकने वाले स्वादिष्ट भोजन के स्वाद का अनुभव प्रदान करने का फैसला किया। इस पहल का नाम उन्होंने ‘द बोहरी किचन’ (टीबीके) दिया। मुनाफ ने अपन कुछ मित्रों और परिचितों को ईमेल भेजे और इसके बारे में बताया। छह घंटे के भीतर ही उनकी एक परिचित ने उनसे संपर्क किया और कहा कि वह अपने छह दोस्तों से साथ आना चाहती हैं। मेहमान उनके घर आए और भोजन का भरपूर मज़ा लिया। सभी मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान और होठों पर मुनाफ और उनकी माँ, नफीसा के लिए ढेरों तारीफ के शब्द थे।
यह छह साल पहले नवंबर 2014 की बात है। उस दिन मुनाफ का जन्मदिन था।
31 वर्षीय मुनाफ याद करते हुए बताते हैं कि इस पूरी घटना में सबसे रोमांचक हिस्सा उनकी माँ की प्रतिक्रिया थी। उस समय पैसे की कोई बात नहीं थी। मुनाफ कहते हैं कि यह उनके लिए एक दिलचस्प प्रयोग की तरह था जहां वह समझना चाहते थे कि ऑनलाइन ब्रांड बनाया जा सकता है या नहीं।
दाउदी बोहरा भोजन सभी के लिए उपलब्ध बनाना
अच्छा फीडबैक मिलने के बाद, वह घर पर हर हफ्ते आठ लोगों के लिए ऐसे भोजन अनुभव का आयोजन करने लगे। समय के साथ, यह भोजन का अनुभव अधिक विशिष्ट हो गया क्योंकि यह उनके घर पर आयोजित किया जाता था।
जल्द ही पूरे शहर में टीबीके की चर्चा होने लगी। ऐसे लोगों की एक लंबी सूची थी जो इस भोजन का अनुभव करना चाहते थे। हर जगह के पत्रकार भी इसे कवर करना चाहते थे।
मुनाफ बताते हैं कि, वह चर्चा का विषय बन गए औऱ उन्हें स्थानीय प्रेस से काफी एक्सपोज़र मिला। यहां तक कि उनकी कहानी बीबीसी पर भी प्रसारित की गई जो उनके लिए बड़ी बात थी।
उन्हें एहसास हुआ कि वह इस क्षेत्र में बेहतर काम कर सकते हैं और अगस्त 2015 में आधिकारिक तौर पर टीबीके की स्थापना की। इससे पहले, लगभग पाँच वर्षों तक वह Google के साथ एक अकाउंट स्ट्रैटजिस्ट के रूप में काम कर रहे थे।
धीरे-धीरे टीबीके पूरे मुंबई में लोकप्रिय हो गया। उनके मेनू में दाउदी बोहरा व्यंजन के 100 से अधिक डिश शामिल थीं। उन्होंने केटरिंग सेवाएं देने के साथ-साथ फूड डिलिवरी के लिए दो रसोई की स्थापना की। फिल्म जगत के मशहूर सितारे, जैसे कि रानी मुखर्जी, ऋषि कपूर, और ऋतिक रोशन ने इनके खाने को काफी पसंद किया और काफी प्रशंसा की।
हालाँकि, यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। मुनाफ ने अपने व्यवसाय को चलाने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया और बाधाओं को दूर किया है। अब, मुनाफ हार्पर कॉलिन्स के लिए एक किताब लिख रहे हैं, जिसका शीर्षक है- The Guy Who Quit Google to Sell Samosas किताब इस वर्ष के अंत में रिलीज होगी।
अपने भोजन के माध्यम से स्वाद जगाना
पारंपरिक व्यंजनों के बारे में जानने से मुनाफ को अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद मिली है।
दाउदी बोहरा समुदाय शिया इस्लाम की एक शाखा है, जो मूल रूप से मिडिल ईस्ट, विशेष रूप से यमन से संबंधित हैं। मुनाफ बताते हैं कि खाने के लिए कैसे और क्यों 3.5 फीट डायमीटर वाली प्लेट का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने बताया, “मध्य पूर्व में बड़े रेगिस्तान हैं। इन क्षेत्रों में लगभग सात से आठ लोगों को खिलाने के लिए इस बड़ी प्लेट का इस्तेमाल किया जाता था। प्लेट के चारों तरफ बैठ कर लोग सुनिश्चित करते थे कि रेत उनकी प्लेट तक ना पहुंचे। इसके अलावा, चूंकि यह एक रेगिस्तान था और पानी की कमी थी, बड़े प्लेट से संसाधन संरक्षित करने में भी मदद मिलती है।”
वर्तमान में, टीबीके की दो डिलीवरी रसोई हैं और मार्च तक, उन्होंने महीने में तीन बार अपने विशेष भोजन अनुभव का आयोजन किया था, जिसकी कीमत प्रति व्यक्ति 1,500-3,500 रुपये के बीच थी। लगभग 40 प्रतिशत व्यंजन शाकाहारी होते हैं, जो मुनाफ के मां द्वारा प्रशिक्षित कुक द्वारा बनाए जाते हैं।
रविनारायण साहू टीबीके के एक नियमित ग्राहक हैं। यहां का खाना उन्हें इतना पसंद है कि टीबीके का नाम सुनकर ही यह काफी उत्साहित हो जाते हैं। 45 वर्षीय साहू ने पहली बार अपने दोस्तों से टीबीके के बारे में तब जाना जब वह एक्सिस म्यूचुअल फंड्स में एक ईवेंट के लिए कैटरर्स की तलाश कर रहे थे। एक्सिस म्ययूचुअल फंड्स में वह वाइस प्रेसिडेंट थे। उन्हें टीबीके का खाना इतना पसंद आया कि अपने बेटे के जन्मदिन पर भी खाने का ऑर्डर इन्हें ही दिया।
रविनारायण बताते हैं कि सारे गेस्ट को खाना बहुत पसंद आया और बच्चों ने दाल समोसा खूब पसंद किया। मुस्कुराते हुए वह कहते हैं, “व्यक्तिगत रूप से मुझे चिकन बिरयानी, चिकन कटलेट, और चिकन मलाई सीक बिरयानी बहुत पसंद है जिसका लुत्फ हमने पिछली दिवाली पर अपने ऑफिस में लिया था। अब क्या बोलूं, सोच कर ही मुंह में पानी आ रहा है।”
उन्होंने टीबीके से खजूर ड्राई फ्रूट चटनी की एक बोतल भी खरीदी है। वह बताते हैं इसका खट्टा-मीठा स्वाद ढोकला या कटलेट का मज़ा दोगुना कर देता है। रविनारायण को टीबीके के यहां का लौकी का हलवा भी बहुत पसंद है।
मुनाफ ने फिल्मी जगत में भी खासा नाम बनाया है। उन्हें आदित्य चोपड़ा का फोन आया, जो चाहते थे कि वह अभिनेत्री रानी मुखर्जी के जन्मदिन पर भोजन प्रदान करें। मुनाफ ने भोजन के लिए विशेष थाल में भेजा और यह सुनिश्चित किया कि वे पारंपरिक व्यंजनों का सबसे अच्छा स्वाद लें।
टीबीके ट्रैवलिंग या यात्रा थाल जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके तहत टीबीके शादियों में खाने की थाल के साथ प्रशिक्षित स्टाफ भेजते हैं। पेरूर में एक शादी को याद करते हुए मुनाफ बताते हैं कि वहां उन्होंने 30 थाल भेजे और 300 से अधिक लोगों को खाना खिलाया! टीबीके ने बुफे शैली में भी काम किया है। एक शादी में उन्होंने 5,000 से अधिक लोगों को खाना खिलाया है।
बोहरी किचन से पहले का जीवन
हालाँकि, मुनाफ ने कभी नहीं सोचा था कि वह फूड इंडस्ट्री में बिजनेस करेंगे, लेकिन उनका हमेशा से एक उद्यमी बनने की ओर झुकाव रहा।
उन्होंने 2006-2009 में मुंबई के नरसी मोनजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से मार्केटिंग में बीबीए की डिग्री हासिल की। इसके तुरंत बाद, उन्होंने नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री पूरी की।
2011 में कॉलेज समाप्त होने के बाद, मुनाफ ने Wrigley में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में काम किया और देश के कुछ एरिया मैनेजर में से एक बन गए।
मुनाफ बताते हैं, “मुझे ग्रामीण मैसूरु भेजा गया था। वेतन अच्छा था, और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जी रहा था। लेकिन, मुझे एहसास हुआ कि यह कुछ ऐसा नहीं था जिसे मैं हमेशा के लिए करना चाहता था।”
उसी वर्ष, मुनाफ ने Google में अकाउंट स्ट्रैटजिस्ट पद के लिए आवेदन किया और उन्हें वह नौकरी मिल गई। मुनाफ बताते हैं कि अपनी नौकरी से वह बहुत खुश थे। लेकिन उनकी पिछली नौकरी की तुलना में यहां 50 फीसदी कम पैसे मिल रहे थे इसलिए उनके पिता ज़्यादा खुश नहीं थे। लेकिन वह हमेशा से ऐसा ही कुछ चाहते थे और ये मौका खोना नहीं चाहते थे।
अंत में, वह अपनी नौकरी के लिए हैदराबाद चले गए, और नौ महीने के भीतर, एक प्रमोशन के साथ वापस मुंबई स्थानांतरित कर दिए गए। यहाँ से उन्होंने धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया। और जब टीबीके अनौपचारिक रूप से शुरू हुआ, तब भी वह Google के साथ काम कर रहे थे। एक सहकर्मी के साथ उन्होंने टीबीके पर चर्चा किया और तब स्थिति को बेहतर तरीके से समझा।
मुनाफ बताते है, “उन्होंने मुझसे पूछा कि टीबीके के साथ मेरी क्या योजनाएँ थीं। और मैंने उनसे कहा कि मैं Google के साथ काम करना जारी रखना चाहता हूँ और शायद सिंगापुर या यूके जाना चाहता हूँ। जब उन्होंने मुझसे टीबीके के बारे में पूछा, तो मेरे पास स्पष्ट जवाब नहीं था। उन्होंने मुझसे कहा कि कोई निर्णय लेने से पहले, मुझे एक के बजाय पाँच साल आगे के बारे में सोचना चाहिए। इससे मुझे आगे का रास्ता समझने में मदद मिली।”

उन्होंने महसूस किया कि अगर टीबीके काम नहीं कर पाता है तो वह दुकान बंद कर अपने कॉर्पोरेट कैरियर के साथ आगे बढ़ सकते है। लेकिन, उस समय टीबीके को मिलने वाली गति को देखते हुए, इसे अनदेखा करना नासमझी होगी। यही कारण है कि उन्होंने Google छोड़ कर और टीबीके पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
हालाँकि मुनाफ एक पूर्ण व्यवसाय के रूप में द बोहरी किचन को आगे ले जाने की संभावना को लेकर काफी उत्साहित थे लेकिन उनके माता-पिता खुश नहीं थे।
मुनाफ याद करते हैं, “मेरे पिता ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने समोसे बेचने के लिए Google छोड़ा है और मैंने सोचना शुरू कर दिया कि क्या मैंने कोई गलती की है।”
तीन महीनों के लिए, उन्होंने अच्छा काम किया, लेकिन फिर यह कम होने लगीं। टीबीके ने 2015 में एनएच 7 वीकेंडर म्यूजिक फेस्टिवल में एक स्टॉल लगाया, लेकिन स्टॉल ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और मुनाफ को 50,000 रुपये का नुकसान हुआ।
उसके बाद, उन्होंने एक डिलिवरी किचन की स्थापना की और अलग-अलग डिलीवरी एप्स के जरिए ऑर्डर पूरा करना शुरू किया। लेकिन 2016 की शुरुआत से, रेटिंग में गिरावट शुरू हुई।
मुनाफ बताते हैं कि उन्हें लगा था कि वह डिलिवरी किचन में अपनी माँ के हाथों के स्वाद जैसा खाना बना पाएंगे, लेकिन वह गलत साबित हुए। जो लोग ऑर्डर कर रहे थे वे ठीक वैसे ही अनुभव की उम्मीद कर रहे थे जैसा उन्होंने मुनाफ के घर पर किया था। वह कहते हैं, “मैंने हर आलोचना को दिल पर ले रहा था और लगातार ब्रेकडाउन का सामना करता रहा। और दिसंबर 2016 में, मेरे सीए ने मुझे बताया कि मैं दिवालिया हो गया था। ”
मुनाफ ने लगभग टीबीके बंद करने का मन बना लिया था और नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी। फिर एक दिन उनके पास एक फोन आया।
मुनाफ बताते हैं वह फोन फोर्ब्स पत्रिका से थी। वह फोर्ब्स इंडिया पर अपने, ’30 -अंडर-30 ‘अंक के लिए अन्य लोगों के साथ मुनाफ को भी कवर पर रखना चाहते थे। इस फोन ने फिर मुनाफ के रास्ते बदल दिया। उन्होंने तय किया कि उन्हें टीबीके को जीवित रखना है और आगे बढ़ना है।
मुनाफ ने व्यवसाय के प्रति अपना नज़रिया बदला और यह सीखना शुरू किया कि अपनी माँ जैसा खाना कैसे पकाया जाए। धीरे-धीरे चीज़ें ठीक होने लगी। निवेशकों से उन्हें थोड़ी फंडिंग मिली और वह अपने व्यवसाय को बढ़ाने पर काम करने लगे। उन्होंने करीब पांच आउटलेट स्थापित किए, जिनमें से चार डिलीवरी किचन थे। अगस्त 2019 में उन्हें प्रतिदिन मिलने वाली ऑर्डरों की संख्या 20 से 200 हो गई। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था।
महामारी और टीबीके का भविष्य
2019 के अंत तक, मुनाफ ने अपना बिजनेस सुव्यवस्थित कर लिया था। मुंबई में कई जगहों पर उन्होंने सप्लाई चेन बना ली थी और इसे पुणे तक ले जाने की योजना बना रहे थे।
लेकिन पिछले कुछ महीनों में टीबीके के लिए कई चीज़ें बदल गई हैं। उन्होंने पिछले साल अगस्त और सितंबर में लगभग 35 लाख रुपये कमाए थे, लेकिन पांच दुकानों को बनाए रखने की लागत अधिक थी। हालाँकि उन्हें विश्वास था कि वे प्री-सीरीज़ ए फंडिंग प्राप्त कर पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वह कहते हैं, “मुझे एहसास हुआ कि निवेशक अपने पैसे को एक ऐसे व्यवसाय पर नहीं लगाना चाहते थे जो एक विशेष तरह का भोजन परोसते हैं बल्कि उनकी रूचि एक ही रसोई से कई व्यंजन परोसे जाने वाले व्यवसाय में ज़्यादा थी। लेकिन कोविड आने के साथ चीज़ें मेरे हाथ निकल गई।”
ज़्यादातर व्यवसायों की तरह, टीबीके को भी चलते रहने के लिए काफी मश्क्कत करनी पड़ रही है। पांच में से तीन आउटलेट बंद हो गए हैं और 50 प्रतिशत कर्मचारियों को छुट्टी दे दी गई है। इसके बावजूद, मुनाफ को लगता है कि यह एक नया फेज़ है और यह एक बेहतर अवसर है जब वह वर्षों से प्राप्त किए गए ज्ञान का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं।
अब, वह अगस्त-सितंबर के आसपास टीबीके को पुन: लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। मुनाफ कहते हैं कि क्योंकि ऑपरेशन कम किए गए हैं तो उन्हें हर चीज़ पर ठीक से ध्यान केंद्रित करने का समय भी मिल रहा है। वह खुदरा पहलू पर भी विस्तार करने की सोच रहे हैं, जहां वह खजूर की चटनी और अचार की बोतलें बेचते हैं।
मुनाफ कहते हैं कि वह कुछ ऐसा बनाने पर विचार कर रहे हैं जिसको दोहराया ना जा सके। वह कहते हैं, “मैं बोहरी भोजन को सभी के लिए अधिक प्रासंगिक बनाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि द बोहरी किचन कुछ ऐसा हो जो हमेशा रहे और जिसमें समुदाय की भावना साथ हो।”
मूल लेख- ANGARIKA GOGOI
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