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नौंवी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को नहीं छोड़ना चाहिए ये मौका, ISRO ने निकाला आवेदन!

By निशा डागर

प्रोग्राम के लिए सेलेक्ट होने वाले छात्रों के रहने, खाने-पीने, आने-जाने और किताब-कॉपी का सभी खर्च ISRO उठाएगा!

1048 रैंक से 63वीं रैंक तक, इस UPSC टॉपर से जानिए कुछ ज़रूरी टिप्स!

By निशा डागर

विशाल का कहना है कि UPSC के लिए सभी छात्र एक ही सिलेबस पढ़ते हैं, इसलिए ज़रूरी यह है कि हम इस बात पर फोकस करें कि हमें अपनी नॉलेज और ज्ञान को परीक्षा में लिखना कैसे है। तभी हम कुछ अलग कर पायेंगें!

JEE MAINS टॉपर कल्पित वीरवाल से सीखिए एग्जाम क्रैक करने का तरीका!

By भरत

कल्पित JEE MAINS में शत प्रतिशत अंक हासिल करने वाले देश के पहले और एकमात्र विद्यार्थी हैं। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी दर्ज है। लोगों ने उनसे कोटा या हैदराबाद जाकर कोचिंग करने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने उदयपुर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी की थी।

24 वर्षीया पायल ने बदल दिया ढर्रा, कच्ची बस्ती के बच्चों को जोड़ा स्कूल से!

“अभी नहीं तो कब? और तुम नहीं तो कौन? यह प्रश्न हमेशा मेरे मन में आते थे। धूमा में अभिभावक बच्चों को पढ़ने भेजने के लिए तैयार तो थे लेकिन सुविधाओं का अभाव था। आज धीरे-धीरे वहाँ तक भी सुविधाएँ पहुँच रही है। ‘शिक्षा’ अभियान की एक बच्ची माधवी परसे का चयन ‘स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ में हुआ है। आज ''शिक्षा'' के माध्यम से बरसाना का एक-एक बच्चा पाठशाला जाता है।''

कभी किराने की दुकान पर काम करता था यह IIT ग्रेजुएट, आज लाखों में है सैलरी!

By निशा डागर

11वीं कक्षा की परीक्षा होने के बाद धनंजय अपने एक दोस्त के साथ पटना के लिए निकल पड़े ताकि वे सुपर-30 पहुँच कर टेस्ट दे पाएं।

22 वर्षीय छात्र ने ली स्लम के बच्चों की ज़िम्मेदारी, आईआईटी के लिए तैयार करना है लक्ष्य!

By निशा डागर

22 वर्षीय श्री निवास झा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से एम. ए कर रहे हैं। मूलतः बिहार के मधुबनी से ताल्लुक रखने वाले श्री निवास का परिवार भोपाल में रहता है। साल 2015 में भोपाल के अन्ना नगर स्लम में रहने वाले बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए उन्होंने 'आरोह तमसो ज्योति' पहल की शूरुआत की।

गुजरात: प्रिंसिपल की इस अनोखी तरकीब से 2 किलो से 500 ग्राम हुआ स्कूल बैग का वजन!

By निशा डागर

गुजरात के अहमदाबाद में भागड सरकारी प्राथमिक स्कूल के 41-वर्षीय प्रिंसिपल आनंद कुमार खलस की एक अनोखी पहल से स्कूल बैग के वजन को काफ़ी कम किया जा सकता है। उन्होंने सभी विषयों के पाठ्यक्रम को सिर्फ़ 10 किताबों में व्यवस्थित किया है। एक ही किताब में सभी विषयों के सिलेबस को एक महीने के हिसाब से लगाया है।

इस सॉफ्टवेयर की मदद से गरीब बच्चों को वापिस स्कूल से जोड़ रही हैं कैप्टेन इंद्राणी सिंह!

By निशा डागर

कैप्टेन इंद्राणी सिंह ने साल 1996 में हरियाणा के गुडगांव में लिटरेसी इंडिया एनजीओ शुरू किया। लिटरेसी इंडिया का मुख्य केंद्र आज गुरुग्राम के बजघेड़ा गाँव में है। इस एनजीओ का उद्देश्य गरीब बच्चों की शिक्षा की दिशा में काम करना था। इसके लिए उन्होंने ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त उद्भव सोफ्टवेयर बनवाया है।

इस शख्स ने बदली गाँव की तस्वीर, अब हर घर में है आइएएस, आइपीएस और कई सरकारी अफ़सर!

By निशा डागर

उत्तर- प्रदेश के चित्रकूट ज़िले के रैपुरा गांव के हर घर में कोई न कोई सरकारी कर्मचारी-अधिकारी है। इस गांव के तीस युवा आइएएस, आइपीएस, पीसीएस और पीपीएस अफसर बने हैं। और इन सबकी कामयाबी के पीछे जो शख्सियत है उनका नाम है डॉ महेंद्र प्रसाद सिंह जिनकी प्रेरणा और प्रयासों से ही गांव के युवा ऐसे मुकाम पा रहे हैं।

मुंबई: बस्ता टांगकर फिर से स्कूल पहुंचे 72 वर्षीय मुकुंद चारी, जानिए क्यों!

By निशा डागर

मुंबई के मुकुंद चारी ने 72 साल की उम्र में फिर एक बार स्कूल में दाखिला लिया है और कक्षा 7वीं से पढाई शुरू की है। मुंबई में ग्रांट रोड निवासी मुकुंद सिक्यॉरिटी गार्ड के रूप में रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने 1950 के दशक में मराठी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की थी।