दीप्ति झंझनी मुंबई में रहती हैं और पिछले आठ साल से अपने 50 वर्ग फुट बालकनी में 30 से ज्यादा तरह की सब्जी उगा रही हैं। वह कहती हैं, “सब्जी और फल सबसे ज्यादा पोषण तब देते हैं जब उनकी खपत ताज़ा रहते ही किया जाता है। बाज़ार पर ज़्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता है और हम यह ठीक-ठीक पता नहीं लगा सकते हैं कि सब्जी कितनी पुरानी हैं या इन्हें उगाने के लिए किस तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। आदर्श रूप से, कटाई के 48 घंटों के भीतर सब्जियों का सेवन करना चाहिए।”
दीप्ति का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान सब्जी उगाना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। वह कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनकी बालकनी सब्जी से भरी रहती है, जिस वजह से हरी सब्जी के लिए उन्हें बाजार जाना नहीं पड़ता है।
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34 वर्षीय दीप्ति ने अपने इस जुनून को एक पेशा में बदल दिया है। वह कहती हैं, “बालकनी में उगाए जाने वाली कुछ सब्जियों में टमाटर, बैंगन, करेला, बीन्स, अदरक, हल्दी और तीन विभिन्न प्रकार की पालक शामिल है। मैं ताजा खाद का इस्तेमाल करती हूं और किसी भी तरह का केमिकल खाद और कीटनाशक का उपयोग नहीं करती हूं।"
दीप्ति ने नवंबर 2017 में ‘एडिबल गार्डन’ नाम से स्टार्टअप की शुरूआत की थी, जिसके तहत वह अपने ग्राहकों को किचन गार्डन स्थापित करने में मदद करती हैं। उन्होंने सबसे बड़े एडिबल गार्डन की स्थापना 1200 वर्ग फुट के क्षेत्र में की है और सबसे छोटा एक बॉक्स विंडो ग्रिल में है।
वह बताती हैं, “पिछले ढाई वर्षों में, मैंने लगभग 20 एडिबल गार्डन स्थापित किए हैं। साथ ही कॉरपोरेट के साथ-साथ ग्रुप के लिए होम गार्डेनिंग और अपना खाना उगाने पर करीब 15 वर्कशॉप भी आयोजित किया है।”
कैसे बनाएं एडिबल गार्डन – जानिए दीप्ति से
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उन लोगों के लिए यह निश्चित रूप से आसान है, जिनके पास पर्याप्त जगह है लेकिन हममें से ज़्यादातर लोगों का क्या जो छोटे अपार्टमेंट में रहते हैं? जैविक सब्जियों और फलों को उगाने के लिए हमें जगह कैसे मिलेगी?
यह काम दीप्ती आसान बनाती हैं!
वह बताती हैं, “एक बॉक्स विंडो ग्रिल स्पेस में, हमने अपने क्लाइंट को लेमनग्रास, पुदीना, माइक्रोग्रीन्स के साथ टमाटर, मिर्च, करेला (करेला) जैसे पांच बुनियादी खाने योग्य पौधों को उगाने में मदद की। जबकि सबसे बड़े एडिबल गार्डन में पेड़ और फसलें भी हैं। यहां केले, पपीता, शहतूत जैसे फलों के पेड़ों के साथ कई सब्जियां हैं।”
तो आप कलम और कागज़ ले आएं क्योंकि दीप्ति हमें कई सारे दिलचस्प सुझाव दे रहीं हैं जिसकी मदद के आप घर में ही मौजूद चीज़ों से एडिबल गार्डन बना सकते हैं।
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दीप्ती कहती हैं, "मुझे लगता है कि घर पर माइक्रोग्रीन उगाने के साथ इस काम की शुरूआत की जा सकती है क्योंकि यह सबसे आसान काम है। आप छोटे प्लास्टिक के कंटेनरों को फेंकने की बजाय उसका फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इन कंटेनरों में माइक्रोग्रीन उगाने के लिए कच्चे साबुत मसालों जैसे सरसों, सौंफ, तिल, मेथी के बीज का उपयोग कर सकते हैं।”
ध्यान रखने योग्य बातें:
कंटेनर में मिट्टी भरें।
बीज को समान रूप से फैलाएं ताकि प्रत्येक बीज के बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह सुनिश्चित हो सके।
पानी का छिड़काव करें और इसे अपनी खिड़की के पास रखें।
यदि आपके पास मिट्टी नहीं है, तो आप कार्डबोर्ड या टिशू पेपर का भी उपयोग कर सकते हैं।
वह बताती हैं, “आप बॉक्स से कार्डबोर्ड लें और इसे 24 घंटे तक पानी में भिगोएं। अगले दिन, आप कार्डबोर्ड के दो टुकड़े लें और उन दोनों के बीच बीज को सैंडविच की तरह रखें। आप 5 दिनों में बीज अंकुरित होते देखेंगे। कार्डबोर्ड पर पानी स्प्रे करें क्योंकि इसे नम रहने की जरूरत है। बुवाई के दस दिन बाद, ये माइक्रोग्रीन्स खाने के लिए तैयार हो जाते हैं।"
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अगर आप कार्डबोर्ड की जगह टिशू पेपर का उपयोग कर रहे हैं, इसे एक दिन के लिए पानी में भिगोने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन यह याद रहे कि इसे नम रखना है। इसके अलावा सारी चीज़ों का पालन समान रूप से करना है। सूर्य की रोशनी के लिए, बीज को टीशू पेपर में डालकर अपनी खिड़की पर रखें ताकि सूर्य की रोशनी अप्रत्यक्ष रूप से पड़े।
दीप्ति कहती हैं कि मूंग, राजमा, चना आदि जैसी फलियां भी उगाई जा सकती हैं। ऐसी फलियां जिनका बाहरी परत कठोर नहीं होता है, उनके लिए रात भर भिगोने और फिर नम टीशू पेपर में अंकुरित करने और फिर उन्हें मिट्टी में लगाने की सलाह दी जाती है। यदि बीज का बाहरी परत कठोर है, तो इसे सीधे मिट्टी में लगाया जा सकता है।
वह बताती हैं, “मैं मिट्टी में छोटे छेद करती हूं और बीज को ऊपर से एक इंच धक्का दे कर नीचे लाती हूं। खरबूजा, कद्दू, और करेला जैसे कठोर बीज वाली सब्जियां उगाने के लिए ऐसे ही मिट्टी में लगाया जा सकता है।” 20 इंच के बर्तन में नींबू के बीज और इमली भी लगाई जा सकती है।
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वह बताती हैं, जिन सब्जियों के बीज छोटे होते हैं, जैसे कि टमाटर, मिर्च, और शिमला मिर्च उन्हें गमले में बोने से पहले धूप में रखना बेहतर होता है। इसके अलावा, दीप्ति पौधों के लिए पोषण के महत्व पर जोर देती है। वह महीने में कम से कम दो बार अपने पौधों के लिए खाद का उपयोग करती है। यदि कोई घर पर खाद तैयार करने में असमर्थ है, तो वह इन स्टेप का पालन कर सकते हैं, जो काफी आसान हैं।
वह बताती हैं, “यदि आपके पास घर पर सब्जी और फलों के छिलके हैं, तो आप उन्हें ब्लेंडर में डाल कर पीस सकते हैं। एक कप गाढ़े पेस्ट के लिए, चार कप पानी डालें। अपने पौधों को पानी देने के लिए इस मिश्रण का उपयोग करें। केले के छिलके इस मिश्रण के लिए विशेष रूप से अच्छे हैं क्योंकि इसमें पोटेशियम की मात्रा काफी होती है।”
अंडे के छिलके या मछली की हड्डियों के मामले में, वह बताती हैं कि इन चीजों को माइक्रोवेव या ओवन में डिहाइड्रेट कर लेना चाहिए और फिर उसे जमीन में डालना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये बहुत आसानी से विघटित नहीं होते हैं और पौधों को उनसे पोषण प्राप्त करने में लंबा समय लगता है।
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दीप्ति कहती हैं कि इन पौधों को प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश और पानी मिलना चाहिए।
एक पत्रकार से एक अर्बन गार्डनर और उद्यमी तक
दीप्ती एक विशेषज्ञ गार्डनर ज़रूर हैं लेकिन वास्तव में उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की है। उन्होंने जय हिंद कॉलेज से बैचलर ऑफ मास मीडिया (बीएमएम) में ग्रेजुएशन और पुणे के फ्लेम विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट-ग्रेजुएशन डिप्लोमा हासिल किया है।
इसके बाद उन्होंने नेटवर्क 18 जैसे मीडिया हाउस के लिए काम किया और साथ ही हिंदू, डीएनए और टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ फ्रीलांस किया। यही से स्थायी जीवन शैली की ओर उनकी यात्रा की शुरूआत हुई।
दीप्ति बताती हैं, “मैं नियमित रूप से लाइफस्टाइल पर लेख लिखा करती थी। मैं अक्सर चेंजमेकर्स और पर्यावरण के प्रति जागरूक व्यक्तियों का इंटरव्यू करती थी जो एक वैकल्पिक जीवन शैली जी रहे थे। कचरा प्रबंधन और रीसायकल से जुड़े उनके काम ने मुझे वास्तव में अपने जीवन में उन्हीं मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।“
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एक बार जब उन्होंने इन लोगों के नक्शेकदम पर चलने का मन बना लिया था, तो वह जानती थी कि बदलाव के लिए पहला कदम घर पर शुरू करना होगा।
वह बताती हैं, “मैं अक्सर अपनी सुबह की सैर के लिए जाती थी और कूड़ा उठाने वाले मजदूर कैसे काम करते हैं उसे बारीकी से देखा करती थी। उन्हें लोगों के मिश्रित कचरे को किसी भी प्रकार के दस्ताने या मास्क के बिना सूखे और गीले कचरे में अलग करना होता था।
तब दीप्ति ने फैसला किया कि वो अपने घर पर उत्पन्न होने वाले गीले कचरे से खाद बनाएगी। उन्होंने विभिन्न तरीकों पर शोध किया और प्रक्रिया का पालन करना शुरू किया। एक महीने बाद, उन्हें ताजा खाद मिली और उन्होंने तुरंत फैसला किया कि वह इस खाद का उपयोग अपने बगीचे में करेंगी।
वह कहती हैं, "मुझे लगता है कि हरी सब्जी उगाने के लिए रसोई के कचरे का उपयोग करना पूरी तरह से जीवन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।" फिर दीप्ति ने अपनी मौजूदा बालकनी के अलावा अपने अपार्टमेंट परिसर में एक बड़ा किचन गार्डन स्थापित किया।
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यह बगीचा लगभग 540 वर्ग फुट (50 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें लगभग 100 से भी ज़्यादा वनस्पति पौधे, फलों के पेड़ और औषधीय पौधे हैं। लगभग 40 लोग अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में रहते हैं और उन्हें इस किचन गार्डन से सब्जियां मिल रही है। दीप्ती कहती हैं कि उन्हें बहुत खुशी होती है जब लोग बताते हैं कि बगीचे से मिली सब्जियों को कैसे पकाया था जिसे लगाने में उन्होंने मदद की थी।
वह बताती हैं, “मुझे लगता है कि अपने हाथों से उगाए गए सब्जी को खाने से ज्यादा कोई खुशी नहीं है। यह स्वास्थ्य से भरपूर होता है और नियमित आपूर्ति के लिए आपको बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। जब मैं अपनी आंखों के सामने ताजी फसल देखती हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है।”
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जैसा कि हम सभी आजकल घर पर समय बिता रहे हैं, मुझे लगता है कि रसोई सबसे ज्यादा सक्रिय जगह बन गई है। अनुभवी रसोइए रोज़ नए प्रयोग कर रहे हैं और हम जैसे शौकीन भी हाथ आज़माने में पीछे नहीं हैं। मेरा मानना है कि ऐसे समय में दीप्ति जैसे लोग स्वस्थ भोजन के लिए क्रांति शुरू कर सकते हैं। अगर मेरी खिड़की पर ताज़ी सब्जियां उग सकती हैं, तो आप भी अपनी बालकनी में अपना किचन गार्डन बना सकते हैं।