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55 वर्षीय राजीव बालाकृष्णन कहते हैं कि बेंगलुरु में कई ईको-फ्रेंडली बिल्डिंग होने के बावजूद, उनका मिट्टी का 'औरा कलरी (Aura Kalari)' होम स्टे सबसे अलग है। मिट्टी के घर के साथ उनके इस होमस्टे में एक ट्री हाउस भी बना हुआ है, जिसे बड़े खूबसूरत ढंग से आम के पेड़ पर बनाया गया है। यह ट्री हाउस, यहां आने वाले हर एक मेहमान को खूब पसंद आता है।
आज से तक़रीबन 10 साल पहले, जब राजीव अपने दोस्त के लिए शहर के बाहर एक कलरीपयट्टु स्कूल बना रहे थे। तब उन्हें पास की ज़मीन पर उगे आम के पेड़ इतने सुन्दर लगे कि उन्होंने उस जगह को खरीदने का मन बना लिया और उन पेड़ों को पहली बार देखकर ही उन्होंने यहां एक ट्री हाउस बनाने का फैसला भी कर लिया था।
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राजीव कहते हैं, "मेरे पिता एक सिविल इंजीनियर थे, इसलिए मैंने भी इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाया। लेकिन प्रकृति से मेरा लगाव हमेशा से रहा था। वह जगह अपने आप में बहुत सुकून वाली थी। जब मेरा दोस्त कलरी कला सिखाने के लिए एक स्कूल की जगह देख रहा था, तभी मैंने भी इस छोटे से 30/ 60 के प्लॉट को ख़रीदा था और एक ऐसा घर बनाना चाह रहा था, जहां कलरी सीखने आने वाले लोग थोड़ा समय बिता सकें। लेकिन आज यह एक मशहूर होम स्टे बन गया है।"
कैसे बना 'औरा कलरी (Aura Kalari)'?
राजीव ने इस होमस्टे का नाम भी 'औरा कलरी' रखा है। इसे बनाने में उन्हें तक़रीबन दो साल का समय लगा। राजीव कहते हैं, "मेरी कल्पना के मुताबिक इसे बनाना आसान नहीं था और इसलिए उन दो सालों के दौरान, मुझे कई तरह के अनुभव भी हुआ।"
उन्होंने पहले यहां मड हाउस बनाया, जिसमें गुड़, मिट्टी और भूसी आदि का इस्तेमाल किया गया। इस मड हाउस के फर्श को भी मिट्टी का ही रखा गया, जबकि छतों को Thatched roof यानी भूसी से बनाया गया है।
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राजीव कहते हैं, "मैंने तमिलनाडु से जिन लोगों को यह मिट्टी का घर बनाने के लिए बुलाया था, वे सभी मेरा यह कहकर मजाक उड़ा रहे थे कि अब हमारे घर भी पक्के बन गए हैं, आपको बेंगलुरु शहर में मिट्टी का घर क्यों बनाना है? उन्होंने मेरा नाम ‘पागल इंजीनियर’ भी रख दिया था।"
ऐसा ही कुछ तब भी हुआ, जब उन्होंने ट्री हाउस बनाने का काम शुरू किया। उनके ज्यादातर कारपेंटर्स को यह काम मुश्किल और नामुमकिन लग रहा था। इसलिए जैसे ही काम की शुरुआत हुई, सभी काम छोड़कर चले गए। आख़िरकार सिर्फ वे लोग वापस आए, जिनके पास कोई काम नहीं था या जो नौसिखिए थे।
उठा सकते हैं आयुर्वेदिक मसाज, योग और कलरीपायट्टू वर्कशॉप का आनंद
राजीव उस समय अपने बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में व्यस्त थे। इसके बावजूद, उन्होंने इन नए कारीगरों के साथ समय निकालकर काम किया और आम के पेड़ पर एक सुन्दर सा कमरा बनाकर तैयार किया, जिसमें आपको सालों पुराने पेड़ की डालियां दिखेंगी। यहां नीचे की और एक बरामदा भी बना है।
यहां बाथरूम को बनाने के लिए ग्रेनाइट का उपयोग किया गया है, जिसकी प्रेरणा उन्हें हम्पी और वायनाड के वास्तुकला से मिली।
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शुरू-शुरू में कुछ समय तक तो राजीव खुद यहां रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे इस जगह की खुबसुरती के कारण यह बेंगलुरु तक मशहूर हो गया और साल 2014 में राजीव ने इसे पूरी तरह से एक होमस्टे में बदलने का फैसला किया।
यहां मेहमानों को खाना, आयुर्वेदिक मसाज, योग करने जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इसके साथ ही कई लोग पास में ही बने उनके दोस्त के कलरीपायट्टु स्कूल के वर्कशॉप में भी भाग लेते हैं।
राजीव कहते हैं, "सालों से लोग मेरे इस होम स्टे (Aura Kalari) में आ रहे हैं और वे इसे अपने सपनों का घर बताते हैं। मुझे उम्मीद थी कि इससे प्रेरणा लेकर कुछ और लोग मुझे ऐसे मिट्टी के घर बनाने का काम देंगे। लेकिन अपना घर बनाते समय ज्यादातर लोग मिट्टी की तकनीक पर विश्वास नहीं करते हैं। मैं खुश हूँ कि हाल ही में मुझे एक और ईको-फ्रेंडली रिसॉर्ट बनाने का काम मिला है।"
औरा कलरी की वेबसाइट के जरिए आप इसके बारे में ज्यादा जान सकते हैं या यहां रहने के लिए बुकिंग भी करा सकते हैं।
संपादन-अर्चना दुबे
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