“बचपन से मैं एक डॉक्टर बनना चाहता था ताकि मैं दूसरों की मदद कर सकूँ। लेकिन बड़े होने के बाद मुझे लगा कि लोगों की मदद करने के लिए पहले मुझे उन्हें शिक्षित करके बेहतर अवसर प्रदान करना चाहिए। इसके लिए मैंने सिविल सर्विसेज को चुना।” - डॉ. राजेंद्र भरुद, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, नंदुरबार जिला, महाराष्ट्र।
1996 में बिहार से दिल्ली आये मनोज अपनी आजीविका चलाने के लिए अंडे व सब्जियाँ बेचा करते थे, लेकिन अपनी मेहनत और सही संगत ने मनोज को फर्श से अर्श तक पहुँचा दिया। पढ़िए उनकी यह प्रेरक कहानी।
"हमने एक महिला को कूड़े के ढेर पर बैठकर मल खाते हुए देखा और इस दृश्य ने हमें झकझोर कर रख दिया। उसी दिन हमने तय किया कि हमें कुछ करना होगा।" - डॉ. राजेंद्र
तेलंगाना के हैदराबाद में एक ऑटो ड्राईवर ने ईमानदारी और सच्चाई की मिसाल पेश की है। घटना बीते बुधवार, 6 फरवरी 2019 की है। हैदराबाद के नलगोंडा जिले के आदिवासी इलाके देवारकोंडा के निवासी जे. रामूलु के ऑटो में दो यात्री अपना पैसों से भरा थैला भूल गये थे, जिसे रामूलु ने पूरी ईमानदारी के साथ उन्हें वापिस लौटाया।
आप उत्तर-प्रदेश के बहराइच जिले के बेगमपुर सरकारी प्राथमिक स्कूल में आप जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) माला श्रीवास्तव को बच्चों को पढ़ाते हुए पायेंगें। उन्होंने जिले में 'विद्या दान, एक आदर्श दान' जैसी पहल भी की है।इस पहल से पिछले महीने में लगभग 700 लोग जुड़े हैं।
वो कहते है न हुनर और मेहनत शहर और गांव की मोहताज नहीं होती I टीकम पोहे वाला, जिसे गठुला पोहे, राजनांदगांव के नाम से भी जाना जाता है, इसी कहावत को साकार करते हैं।
सिक्यूरिटी गार्ड पिता की सीमित आय में बिना कोचिंग के ही संदीप बने चार्टर्ड अकाउंटेंट! अब वे नौकरी करके अपने परिवार की सारी मुसीबतों को दूर करना चाहते है और उन्हें एक आरामदायक जीवन देना चाहते है।