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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड को ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध माना जाता है। लेकिन, कालांतर में यह बदहाली का शिकार हो गया। लेकिन, यहीं के मिट्टी में पले-बढ़े रविकांत पाठक ने यहाँ की सूखी जमीन पर बदलाव की एक नई बयार शुरू की।
आईआईटी मुम्बई से पास पाउआउट होने के बाद रविकांत, हॉंगकॉंग, अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में रिसर्च के क्षेत्र में काम कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपनी आरामदायक नौकरी छोड़, कुछ अलग करने का फैसला किया।
इसी प्रयास के तहत, उन्होंने 2007 में, भारत उदय नाम से एक आश्रम की भी शुरुआत की, जिसके द्वारा वह स्थानीय किसानों के बीच मौसंबी, आँवला, अमरूद जैसे कई फलों की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही, बच्चों की शिक्षा की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रयास कर रहे हैं।
इस वीडियो में जानिए उनकी प्रेरक कहानी:
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