शादी का यह कार्ड भले लाखों रुपये खर्च करके न बना हो लेकिन यह सैकड़ों पक्षियों का घर जरूर बनेगा

गुजरात के भावनगर जिले के शिवाभाई रावजीभाई गोहिल ने अपने बच्चों की शादी के लिए एक अनोखा निमंत्रण कार्ड तैयार किया है जो उपयोग के बाद घोंसले में बदल जाता है।

Unique wedding card

आजकल लोग शादियों में आंख बंद करके करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। शादी के वेन्यू से लेकर डेकोरेशन और खाने को कैसे सबसे अच्छा और बेहतरीन बनाया जाए, इसपर सभी ध्यान देते हैं। इतना ही नहीं शादी के कार्ड (unique wedding card) में भी लोग बिना सोचे समझे लाखों का खर्च कर देते हैं। लेकिन कितना भी महंगा कार्ड क्यों न हो शादी के बाद उसका क्या इस्तेमाल होता है? यह हमें बताने की जरूरत नहीं है।

कुछ कार्ड कबाड़ी वाले के पास जाते हैं तो कुछ कचरे के डिब्बे में। लेकिन शादी के कार्ड का एक बेहतरीन और अनोखा रूप आज हम आपको दिखाने वाले हैं। गुजरात के भावनगर जिले के उचेडी गांव में रहने वाले शिवाभाई ने अपने बेटे और बेटी की शादी में एक ऐसा कार्ड बनवाया जो उपयोग के बाद पर्यावरण संरक्षण का भी काम करेगा। 

इसके लिए उन्होंने अपने एक दोस्त नरेंद्रभाई फालदू की मदद ली थी। नरेंद्रभाई प्रकृति प्रेमी हैं। उनकी सलाह से उन्होंने एक कार्ड (unique wedding card) बनवाया है, जो इस्तेमाल के बाद पक्षी का घोंसला (bird nest) बन सकता है। 

A Unique Wedding Card That Can Be A Nest

जब 45 वर्षीय शिवाभाई गोहिल ने अपने बेटे जयेश की शादी की तारीख तय की, तो वे चाहते थे कि हर कोई इस मौके को खास तरीके से याद रखे। क्योंकि इसी दिन उनकी बेटी की शादी भी होनी थी। द बेटर इंडिया से बात करते हुए, शिवाभाई कहते हैं, "हमारा पूरा परिवार पक्षियों से प्यार करता है और हमारे घर में पहले से ही कई घोंसले हैं। हम मिट्टी और लकड़ी से घोंसले बनाकर घर पर रखते हैं। जब मैंने अपने बेटे से इस तरह का कार्ड बनाने के बारे में बात की तो उसे भी बेहद ख़ुशी हुई।" 

जयेश ने राजकोट की एक प्रिंटिंग प्रेस से अपने और अपनी बहन की शादी के लिए इस कार्ड (unique wedding card) को प्रिंट कराया था।  इस तरह के कार्ड को डिज़ाइन (unique wedding card design) करने के पीछे उनका उदेश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना था।

Birds in the nest
Nest Made From Wedding Card

शादी के बाद अगर आधे मेहमानों ने भी इससे घोंसला बनाकर किसी सुरक्षित जगह रखा होगा तो कई पक्षियों को आश्रय मिल जाएगा। 

हमें तो उनका यह आईडिया बेहद पसंद आया, आपका क्या ख्याल है?

संपादन- जी एन झा

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