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किसी भी बच्चे को कुछ सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है कि जो हम उन्हें कहते हैं वह हम खुद भी करें। बिहार के राजा बोस इसी सिद्धांत पर चलते हुए, अपने छात्रों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बना रहे हैं।
बिहार के भागलपुर में स्थित न्यू सेंचुरी स्कूल के प्रिंसिपल राजा बोस का घर किसी बागान से कम नहीं है। उनके यहाँ आपको सैकड़ों पेड़-पौधे मिल जाएंगे। उनके घर के बाहर ही नहीं बल्कि घर के अंदर भी पेड़ हैं। बहुत ही कम उम्र से उनका लगाव पेड़-पौधों से हो गया था।
इस बारे में उन्होंने द बेटर इंडिया से बात की और बताया कि भारत की 'गार्डन सिटी' कहे जानेवाले बंगलुरु शहर से उन्हें प्रेरणा मिली।
"मैं राष्ट्रीय स्तर का टेबल टेनिस खिलाड़ी था और साल 1986 में छठी कक्षा में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने बंगलुरु गया था। गार्डन सिटी के नाम से मशहूर यह शहर बिल्कुल अपने नाम की तरह था और मैं भी अपने शहर में ऐसा ही कुछ करना चाहता था। मैंने सोचा कि कुछ भी शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने घर से शुरू करो। यहाँ से शुरू कर हम पूरे देश को हरा-भरा कर सकते हैं," उन्होंने कहा।
कोई भी विश्वास नहीं कर पाता है कि बोस के घर में 300-400 प्रजाति के पेड़-पौधे हैं, जो उन्होंने दुनिया के विभिन्न भागों से इकट्ठा किये हैं।
उनके गार्डन की ये तस्वीरें देखकर आपको ज़रूर यकीन हो जाएगा:
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वह प्राकृतिक तरीकों से बागवानी करते हैं। अपने आस-पास के साधनों का उपयोग करके खाद, प्राकृतिक उर्वरक और रसायन मुक्त पेस्टिसाइड बनाते हैं। बागवानी के लिए उनका जुनून इस कदर है कि उन्होंने अब अपना एक वेब-सर्कल बना लिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से वह बहुत से ऐसे समूहों से जुड़े हुए हैं, जो खास तौर पर पेड़-पौधों से संबंधित जानकारी के लिए बनाए गए हैं। इन समूहों में दुनियाभर से लोग जुड़े हुए हैं।
घर पर वह कम उम्र से ही अपने छात्रों को बागवानी की कला सिखा रहे हैं। उनका घर स्कूल परिसर में ही है। बच्चों को पर्यावरण की देखभाल करने के गुर सिखाने के लिए उन्होंने स्कूल में 'लिव विद नेचर' नाम से एक इको-क्लब भी शुरू किया है।
"मैं बच्चों के लिए ऐसा वातावरण बनाना चाहता हूँ जो उन्हें प्रेरित करे। बहुत से बच्चे और माता-पिता कहते हैं कि उन्हें स्कूल आते समय लगता है जैसे वे किसी बोटनिकल गार्डन में आ रहे हैं।"
बोस कहते हैं कि वह अपने बच्चों को घर पर ले जाने के लिए भी पौधे देते हैं। जैसे-जैसे बच्चे इनकी देखभाल करेंगे उनका लगाव प्रकृति की तरफ ज्यादा होगा। उनका मानना है कि इस उम्र में बच्चों को सिखाई आदतें, लंबे समय तक साथ रहती हैं।
पेड़ों के प्रति उनका प्रेम और निष्ठा देखकर अक्सर लोग कहते हैं कि उन्होंने पेड़ों से ही शादी कर ली है। इस बात को बोस नकारते नहीं है बल्कि उन्हें लगता है कि उनकी पहल धीरे ही सही, लेकिन एक बेहतर कल की शुरुआत है।
"हम सब जानते हैं कि भारत के हर शहर और कस्बे में आसानी से दिखने वाली चिड़ियों की संख्या कितनी बुरी तरह से कम हो रही है। मैंने पिछले कुछ सालों में देखा है कि बहुत सी चिड़ियों ने मेरे गार्डन को अपना घर बनाया है, इसलिए अपने प्रयासों पर मुझे गर्व है," उन्होंने बताया।
राजा बोस के मार्गदर्शन में ये बच्चे, ज़रूर एक दिन अच्छे और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नागरिक बनेंगे। हमें उम्मीद है कि राजा बोस के प्रयासों से और भी बहुत से लोगों को प्रेरणा मिलेगी।
आपको भी अगर बागवानी का शौक है और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा कर सकते हैं आप अपनी कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी [email protected] पर!