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90 के दशक में रेमा देवी ने केरल के कोट्टायम में अपने घर के आस-पास ऑर्गेनिक वेजिटेबल्स उगाना शुरू किया था। तब उनका मक़सद महज़ इतना था कि बस उनके परिवार की सब्जियों की रोज़ की ज़रूरत पूरी हो जाए। लेकिन पिछले कुछ सालों में उनका गार्डनिंग का शौक़ इतना बड़ा हो गया है कि यह उनकी एक अच्छी कमाई का ज़रिया बन गया है।
बचपन में रेमा अपनी दादी की गार्डनिंग में मदद किया करती थीं। उनकी दादी सालों तक एक सफल गार्डनर थीं और ढेरों सब्जियां उगाती थीं। आज रेमा भी घर में लगभग सब कुछ उगाती हैं- फिर चाहे वे दालें हों या सब्जियाँ।
वह बताती हैं, “बचपन में मैं और मेरी छोटी बहन, दादी के सहायक हुआ करते थे और यह उनका ही असर है कि आज मुझे गार्डनिंग इतनी पसंद है। उनसे ही मुझे जैविक तरीकों की जानकारी मिली।"
रेमा देवी पिछले 20 सालों से अपने घर की छत पर गार्डनिंग कर सब्जियां और फलों के पेड़ उगा रही हैं। अपने गार्डनिंग के ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल की शुरुआत की, जिसके ज़रिए वह शहरी गार्डनर्स की मदद करती हैं। इतना ही नहीं, रेमा सब्जियों के बीजों को इकट्ठा कर लोगों तक पहुंचाती हैं।
56 वर्षीया रेमा का मानना है कि काफ़ी सस्टेनेबल तरीकों और कम ख़र्च में टेरेस गार्डनिंग की जा सकती है और इसी काम में उनका चैनल लोगों की मदद करता है।
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बच्चों को केमिकल फ्री खाना देने के लिए शुरू किया ऑर्गेनिक वेजिटेबल्स उगाना
रेमा को हमेशा से ही खेती और बागवानी में दिलचस्पी थी, यही कारण है कि उन्होंने बॉटनी (वनस्पति विज्ञान) विषय में पढ़ाई की। लेकिन पढ़ाई के बाद भी वह पहले घर में ज़्यादा सब्जियां नहीं उगा रही थीं। फिर जीवन की एक घटना ने उन्हें बागवानी से जोड़ दिया।
वह बताती हैं, “एक बार मैं बाज़ार से लाई सब्ज़ी बना रही थी। अचानक उस सब्ज़ी से किसी केमिकल की बहुत ज़्यादा गंध आने लगी। तब मुझे लगा कि ऐसा खाना मैं अपने बच्चों को नहीं खिला सकती और फिर मैंने अपने घर पर सब्जियां उगाना शुरू किया।"
पहले उन्होंने घर के चारों ओर सब्जियों के पौधे लगाए थे। बाद में जब उनका अपना घर बना, तब उन्होंने छत पर बढ़िया गार्डनिंग शुरू कर दी। हालांकि उनका मानना है कि छत पर गार्डन बनाने से पहले कुछ चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए।
टेरेस गार्डनिंग करते समय इन बातों का रखें ध्यान
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रेमा कहती हैं, “टेरेस गार्डन की देखभाल करते समय यह याद रखना चाहिए कि यह हमारे घर की सबसे ऊपरी परत है। इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और लीकेज से बचने के लिए मैंने अपनी पूरी छत को सफेद सीमेंट से रंग दिया। सीधे छत पर गमले या ग्रो बैग रखने के बजाय स्टैंड या नारियल के गोले का इस्तेमाल करें।"
रेमा 20 सालों से अपने गार्डन के लिए खुद ही फ़र्टिलाइज़र भी बना रही हैं और अपनी उगाई ऑर्गेनिक वेजिटेबल्स से ही बीज जमा करती हैं।
अपने बीज बैंक से भी आज वह अच्छी कमाई कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह सोशल मीडिया के ज़रिए इन बीजों को बेचती हैं। इन बीजों की कीमत 25 रुपये से 40 रुपये प्रति पैकेट के बीच है, जो सब्जियों की किस्म और उपलब्धता पर निर्भर करती है। फ़िलहाल वह केवल बीजों के बिज़नेस से हर महीने लगभग 60,000 रुपये कमा रही हैं। बीज के ऑर्डर्स उन्हें पूरे राज्य से मिल रहे हैं।
वह लोगों से बस यही कहना चाहती हैं कि एक ही सही, लेकिन घर पर ऑर्गेनिक सब्जी उगाने की कोशिश ज़रूर करें।
अधिक जानकारी के लिए आप रेमा से 79077 87439 पर संपर्क कर सकते हैं।
हैप्पी गार्डनिंग!!
संपादन- भावना श्रीवास्तव
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