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नोएडा शहर के बीच बना यह घर, नहीं है किसी मिनी जंगल से कम

मिलिए नोएडा के रहनेवाले अक्षय भटनागर से जो पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं, और काम में काफ़ी बिज़ी होने के बावजूद भी गार्डनिंग के लिए समय निकाल ही लेते हैं। उनके घर की हरियाली देखकर हर कोई चौक जाता है।

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नोएडा शहर के बीच बना यह घर, नहीं है किसी मिनी जंगल से कम

हरियाली किसे नहीं पसंद! भले हम खुद गार्डनिंग करें या न करें, पेड़-पौधे देखकर खुश ज़रूर हो जाते हैं। तभी तो शहर की भाग-दौड़ से परेशान होकर हम किसी ऐसी जगह पर छुट्टियां बिताने जाते हैं, जहाँ हरियाली और सुकून हो। कई लोग जंगल के बीच बने रेसॉर्ट में रहने जाते हैं, ताकि ताज़ी हवा और शांति मिल सके। लेकिन नोएडा जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में रहनेवाले अक्षय भटनागर के घर में इतनी हरियाली है कि उन्हें शहर में ही मिनी जंगल जैसा अनुभव मिलता है। 

अक्षय पेशे से एक कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, लेकिन अपने गार्डनिंग के शौक़ की वजह से उन्होंने घर में सैकड़ों पौधे उगा लिए हैं। 

34 वर्षीय अक्षय और उनकी पत्नी इस घर में पिछले पांच सालों से रह रहे हैं। अपनी गार्डनिंग के लिए अक्षय काफ़ी मशहूर भी हो गए हैं।  द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताते हैं, “मेरे गार्डन को देखकर घरवाले और दोस्त तो खुश होते ही हैं, साथ ही कई अनजान लोग भी मेरे घर सिर्फ़ गार्डन देखने आते हैं।"

बचपन में दादा को देखकर हुआ गार्डनिंग का शौक़

Akshay Bhatnagar
Akshay Bhatnagar

मूल रूप से बरेली के रहनेवाले अक्षय बताते हैं कि बचपन में उनके दादा घर पर पौधे लगाया करते थे। उन्हें देखकर ही अक्षय का पौधों से लगाव हुआ। लेकिन पढ़ाई  और बाद में नौकरी के लिए वह घर से बाहर आ गए और गार्डनिंग करने का उन्हें कभी मौक़ा मिला ही नहीं। शादी के बाद जब वह अपनी पत्नी के साथ इंदिरापुरम के एक घर में शिफ्ट हुए, तब उन्होंने अपने घर को पहली बार पौधों से सजाने के बारे में सोचा।  

अक्षय बताते हैं, “मैंने उस घर में कुछ आसान पौधे लगाने से शुरुआत की थी। तब मैंने एलोवेरा, मनीप्लांट और गुलाब जैसे पौधे लाकर लगाए थे।  कुछ पौधे आराम से उग जाते, तो कुछ मर भी जाया करते थे। फिर मैंने पौधों के बारे में पढ़ना और जानकारियां इकट्ठा करना शुरू किया।"

उनके उस घर में एक छोटी सी बालकनी थी,  जहाँ उन्होंने क़रीब 35-40 पौधे लगाए थे। 

नए घर को हरियाली से सजाया

पौधों का शौक़ ऐसा नशा है जो एक बार लग जाए फिर आसानी से नहीं जाता और इस बात को कोई गार्डनर ही समझ सकता है। अक्षय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। साल 2017 में उन्होंने ग्रेटर नोएडा में अपना खुद का घर ख़रीदा और यहाँ आकर एक सुंदर गार्डन बनाना शुरू किया। 

उनका यह फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर है, जहाँ उनके पास क़रीब 500 स्क्वायर फ़ीट की एक खाली जगह भी है। इसका इस्तेमाल उन्होंने पौधे लगाने के लिए किया। 

Green House
Green House

अक्षय बताते हैं, “यह एक अपार्टमेंट बिल्डिंग है और जब हम यहाँ रहने आए थे तब ये सारे घर कंक्रीट के जंगल जैसे लगते थे। लेकिन आज यहाँ कई लोगों ने नीचे के एरिया में गार्डन बना लिया है। हम सभी एक गार्डनिंग ग्रुप बनाकर जानकारियां शेयर भी करते हैं।"

वह अपने पुराने घर से 30 गमले लेकर आए थे। और फिर यहाँ उन्होंने फल-सब्जियों और फूलों के पौधे लगाना शुरू किया। वह मौसम के अनुसार सब्जियां तो उगाते ही हैं, साथ ही उन्होंने कुछ बड़े-बड़े फल और फूल के पेड़ भी  लगाएं हैं। 

अक्षय कहते हैं, “मेरे गार्डन में गाजर, चेरी टमाटर, लौकी, ब्रॉकली, करेला और भिंडी जैसी सब्जियों के साथ-साथ तरबूज, चेरी, नींबू, अंगूर और संतरा भी लगे हुए हैं। वहीं मैं नियमित रूप से माइक्रो ग्रीन्स भी उगाता रहता हूँ।"

आज-कल वह अलग-अलग किस्मों के दुर्लभ पौधे कलेक्ट कर रहे हैं। उनके पास कई महंगे विदेशी पौधे भी हैं, जिसमें मॉन्स्टेरा और स्नेक प्लांट की कई किस्में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास स्नेक प्लांट की 15 किस्मों के 30 से ज़्यादा पौधे हैं। वहीं, काफ़ी दुर्लभ मॉन्स्टेरा पेरू भी उनके घर में लगा हुआ है। बेहतरीन इंडोर प्लांट माने जाने वाले सिंगोनियम की उनके पास 13 किस्में लगी हुई हैं।  

उन्होंने कुछ फूलों की बेल घर के बाहर के हिस्से में लगाई  हैं,  जिससे घर के बाहर अच्छी हरियाली रहती है और अंदर का माहौल ठंडा रहता है।  

बिज़ी होने के बाद भी निकाल लेते हैं गार्डनिंग के लिए समय

गार्डनिंग करना कई लोगों को मुश्किल लगता है क्योंकि उनके हिसाब से इस काम को काफ़ी समय देना पड़ता है। इतना ही नहीं, यह भी माना जाता है कि यह गृहिणियों और रिटायर्ड लोगों का शौक़ है। लेकिन अक्षय मानते हैं कि अगर आपको एक बार पौधों से प्यार हो गया तो आप कैसे भी गार्डनिंग के लिए समय निकाल ही लेते हैं। जैसा कि वह खुद करते हैं। लॉकडाउन के समय अक्षय को गार्डन में काफ़ी समय मिल जाता था लेकिन अब ऑफिस शुरू होने के बाद उनको गार्डन की देखभाल करने में थोड़ी दिक्क़त आती है।  

Akahsy in his garden
Akshay Bhatnagar in his garden

वह सुबह साढ़े छह बजे ऑफिस के लिए निकल जाते हैं लेकिन इससे पहले गार्डन में पानी डालने और देखरेख के लिए वह सुबह जल्दी उठते हैं। शाम को भी साढ़े पांच बजे वापस आने के बाद वह अपने डॉग को घुमाने ले जाते हैं और थोड़ा समय गार्डनिंग करते गुज़ारते हैं।  

इसके अलावा वह अपने घर के गीले कचरे से कम्पोस्ट भी घर पर ही तैयार करते हैं। वह कहते हैं, “मेरे गार्डन में सिर्फ़ ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल होता है, जिसके लिए मैं होम कम्पोस्टिंग करता हूँ। ऐसा मैं पिछले तीन सालों से कर रहा हूँ और अब मेरे घर का तक़रीबन 70 से 75 प्रतिशत गीला कचरा बाहर नहीं फेंका जाता।"

अक्षय दूसरों को भी कपोस्टिंग करने के लिए प्रेरित करते हैं। अपने गार्डनिंग ग्रुप में वह इसकी जानकारियां देते रहते हैं। वहीं सोसाइटी के खाली एरिया में भी वह कुछ-कुछ पौधे लगाते रहते हैं।  अक्षय guardianofgreens नाम से अपने इंस्टाग्राम पेज पर गार्डनिंग के वीडियोज़ और फ़ोटोज़ शेयर करते हैं।  जिससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को गार्डनिंग करने के सही तरीक़े पता चलें। 

आशा है उनकी कहानी से आपको भी गार्डनिंग करने की प्रेरणा ज़रूर मिली होगी।  

हैप्पी गार्डनिंग!

संपादन - भावना श्रीवास्तव 

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