पेशे से बिजनेसमैन मुकेश काले, खंडवा (मध्यप्रदेश) के जिस घर में रहते थे, वहां आस-पास बिल्कुल कम हरियाली थी। आस-पास के किसी घर में भी कोई गार्डनिंग नहीं करता था। लेकिन प्रकृति प्रेमी मुकेश को यह बात बड़ी खलती थी। समय और जानकारी की कमी के कारण वह खुद भी गार्डनिंग नहीं कर पा रहे थे। लेकिन वह कहते हैं न कभी-कभी एक छोटी सी सोच से बड़े बदलाव आ जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ उनके साथ भी, सात साल पहले कुछ एक दो पौधे लगाने के बाद उन्हें गार्डनिंग में इतनी रुचि बढ़ गई कि आज उन्होंने अपने घर की छत को हरा-भरा(Terrace Garden) बना दिया है।
मुकेश कहते हैं, “हरियाली का शौक] तो पहले से ही था, लेकिन पहले घर पर बैठकर सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग आदि की बातें ही किया करते थे। समय के साथ मुझे लगने लगा कि हमें खुद से कुछ करना चाहिए और मैंने एक छोटा गार्डन बनाने का फैसला किया।”
पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूकता को समझते हुए उन्होंने गार्डनिंग को ही अपना शौक] बना लिया।
कुछ आसान पौधों से शुरू किया गार्डन(Terrace Garden) बनाना
खंडवा में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स के डीलर का काम करनेवाले मुकेश ने सबसे पहले, गमलों में कुछ मनी प्लांट्स की कटिंग और गुलाब के पौधे लगाए थे। बाद में उन्होंने नर्सरी से कुछ सजावटी पौधे भी खरीदकर अपने गार्डन में लगाना शुरू किया। एक पौधे से शुरुआत करके, आज उन्होंने अपने घर की छत को सैकड़ों पौधों से भर दिया है।
मुकेश कहते हैं, “मेरे दो मज़िला घर के ऊपर बने इस गार्डन में जैसे-जैसे हरियाली फैलने लगी, नीचे के कमरों का तापमान कम होने लगा। इससे मुझे और पौधे उगाने की प्रेरणा मिली।”
उनके 600 स्क्वायर फ़ीट की छत में काफी अच्छी धूप भी आती है। इसलिए सजावटी पौधों की सफलता के बाद उन्होंने कुछ सब्जियों और फलों के पौधे उगाना शुरू किया।
फिलहाल, उनकी छत पर 100 सजावटी पौधों के अलावा, बरगद, नींबू, आम, आंवला जैसे बड़े पेड़ लगे हुए हैं। इसके साथ ही वह सर्दियों में 10 से ज्यादा किस्म की सब्जियां भी उगाते हैं। उनके घर में छह लोग रहते हैं, लेकिन गार्डनिंग का सबसे ज्यादा शौक़ मुकेश को ही है। वह कहते हैं कि बाकी के लोग समय-समय पर मेरा हाथ बंटाने आते रहते हैं।
गार्डनिंग से बदला पूरे घर का माहौल पड़ोसियों ने भी शुरू की गार्डनिंग
जैसे-जैसे पौधे बढ़ने लगे मुकेश ने उनके लिए खाद आदि बनाने का काम घर पर ही शुरू कर दिया। उन्होंने छत पर एक कम्पोस्ट बीन रखा है, जिसमें वह अपने किचन से निकला वेस्ट डालते हैं।
मुकेश इसे भी गार्डनिंग का एक बहुत बड़ा फायदा बताते हुए कहते हैं कि गार्डनिंग के ज़रिए वह अपने कचरे का सही उपयोग भी कर पा रहे हैं।
उन्होंने गार्डन में पक्षियों को आकर्षित करने के लिए एक सुन्दर स्टैंड खुद डिज़ाइन करके बनवाया है, जिसमें पौधे लगाने के लिए जगह के साथ-साथ पक्षियों के लिए फ़ूड स्टैंड भी बने हैं। पहले इस वीरान सी छत में ज्यादा पक्षी नहीं आते थे, लेकिन आज उनके गार्डन में तरह-तरह के पक्षी, तितलियां और मधुक्खियाँ नियमित आती रहती हैं। उन्होंने गार्डन में एक झूला भी लगवाया है, जहां वह फुरसत के पल बिताने जाते हैं।
मुकेश कहते हैं, “मेरे इलाके में मैंने सबसे पहले गार्डन बनाना शुरू किया था, जिसे देखने के बाद, आस-पास के कई लोग मेरे घर में आया करते थे और बाद में कइयों ने खुद भी अपने घर पौधे उगाना शुरू किया। यह देखकर मुझे काफी ख़ुशी भी होती है।”
मुकेश आज भी इधर-उधर से गार्डनिंग की जानकारियां इकट्ठा करते रहते हैं, ताकि अपने गार्डन को और खूबसूरत बना सकें। हालांकि, आमतौर पर वह काफी बिजी भी रहते हैं, लेकिन सुबह का समय वह अपने पौधों के साथ बिताना कभी नहीं भूलते ।
अगर आपको भी मुकेश की गार्डनिंग की कहानी अच्छी लगी हो, तो आप भी उनकी तरह पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए कुछ प्रयास ज़रूर करें।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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