चेन्नई के रहने वाले एन. एम. मैत्रेयन को बचपन से ही गार्डनिंग करने का शौक रहा। वह फूलों के बहुत से पौधे और ओरनामेंटल पेड़ लगाते थे लेकिन साल 2013 से उन्होंने किचन गार्डनिंग शुरू की। वह बताते हैं कि एक गार्डनिंग वर्कशॉप के बाद उन्होंने सब्जियां उगाना शुरू किया। वह कहते हैं कि किचन गार्डनिंग आसान नहीं है।
मैत्रेयन कहते हैं, "पहले-पहले मुझे कई बार असफलता मिली लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं कृषि क्षेत्र से नहीं हूँ और न ही मुझे इसकी ज्यादा जानकारी थी। लेकिन मेरे सीखने के जज्बे ने मुझे सफलता का रास्ता दिखाया। दूसरों से सीखने में मुझे कभी कोई हिचक नहीं हुई। पौधों से भी मैंने कई बेहतरीन सबक सीखे हैं।"
मैत्रेयन ने धीरे-धीरे किचन गार्डनिंग की शुरूआत की और आज उनका गार्डन 1500 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है। लेकिन यह एक दिन में नहीं हुआ बल्कि पिछले 7 वर्षों की मेहनत है। गार्डनिंग करने वाले लोगों को वह यही सलाह देते हैं कि गार्डनिंग में कभी भी जल्दबाजी में एक साथ सबकुछ करने की कोशिश न करें। इससे सिर्फ नुकसान ही होगा। अगर आप एक साथ बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट कर देंगे तो आपको नुकसान ही होगा।
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"सब्जियां उगाना आसान नहीं है और जैविक तरीकों से सब्जियां उगाने के लिए तो काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए जब तक आपको अच्छे से ट्रेनिंग न हो जाए, बहुत ज्यादा पैसे इसमें न लगाएं। बल्कि गार्डनिंग तो आप बहुत ही किफायती स्तर पर शुरू कर सकते हैं," उन्होंने कहा।
मैत्रेयन के गार्डन में आज 350 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं, जिनकी देखभाल वह खुद करते हैं। उनके दोनों बच्चे भी इसमें उनकी मदद करते हैं। उनके गार्डन में सब्जियां, पत्तेदार हरे साग, फल-फूल, हर्ब्स और कुछ ऑरनामेंटल पौधे हैं। पूरे गार्डन की देखभाल मैत्रेयन बहुत अच्छे से करते हैं।
बगीचे के नौसिखिए लोगों को वह शुरू में बैंगन, मिर्च, भिन्डी और कुछ हरी पत्तेदार सब्जियों से शुरू करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि लोगों को देसी बीजों से ही सब्जियां उगानी चाहिएं। एक उपज लेने के बाद आप अपने गार्डन से ही बीज बनाकर सहेज सकते हैं। देसी और पारंपरिक बीजों से खेती करना प्रकृति के अनुकूल भी रहता है।
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"हम जैविक तरीकों से ही सब कुछ उगाते हैं और कोशिश करते हैं कि हमारे गार्डन में इको-सिस्टम बना रहे। खुद गार्डनिंग के लिए पॉटिंग मिक्स तैयार करने से लेकर सभी पौधों में खुद पानी देने तक, हर काम हम खुद करते हैं। पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए आप 40% कोकोपीट, 40% खाद और 20% लाल मिट्टी मिला लें। समय-समय पर इसमें नीम के पत्तों की खाद आदि मिलाते रहें," उन्होंने आगे कहा।
पेड़-पौधों के सही विकास के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है उनकी उचित देखभाल। इसके लिए सुबह 8 बजे से पहले पानी दे और फिर शाम में पानी डालें। सब्जियों के लिए धूप बहुत ज़रूरी है तो ध्यान रखें कि कम से कम 6 घंटे पौधों को धूप मिले। हालांकि, पानी डालते समय मिट्टी में नमी चेक करना न भूलें। मैत्रेयन के मुताबिक, किचन गार्डन शुरू करने का बेस्ट टाइम जुलाई है। इस महीने में आप जो भी पौधे लगाते हैं उनका विकसित होने के ज्यादा चांस होते हैं।
इसके अलावा वह पेड़-पौधों की देखभाल के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी बता रहे हैं:
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1. खट्टी छाछ और चावल को धोने के बाद बचने वाले पानी को आप पौधों पर स्प्रे कर सकते हैं। यह काफी गुणकारी नुस्खे हैं।
2. हम प्याज, केले और अंडे आदि के छिलके भी मिट्टी में डाल सकते हैं, ये मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं।
3. इसके अलावा आप 3 जी पेस्टिसाइड पेस्ट बना सकते हैं जिसमें जिंजर यानी अदरक, गार्लिक यानी लहसुन और ग्रीन चिली यानि हरी मिर्च को साथ में पीसकर आप पेस्ट बना सकते हैं।
वह बताते हैं, "नियमित तौर पर घर पर बने जैविक कीट प्रतिरोधक और पोषक तत्त्व, पौधों पर छिड़कते हैं। मिश्रित तरीकों से प्रकृति के अनुकूल गार्डनिंग करने के कारण कभी भी बहुत ज्यादा कीट हमारी फसल पर नहीं आते और हमें अच्छी उपज मिलती है। हमने कई सारे खूबसूरत और रस वाले फूलों के पेड़ लगाए हैं ताकि ये तितली, मधुमक्खी जैसे जीवों को आकर्षित करें। अगर हम शुरुआत से ही नियमित तौर पर पेड़-पौधों की देखभाल करें तो इनमें कोई बीमारी नहीं होगी और अगर होगी भी तो हम पहली स्टेज में ही उसे रोक सकते हैं।"
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मैत्रेयन का परिवार बहुत ही कम सब्जियां बाज़ार से खरीदता है। उनके यहाँ 70% सब्जियों की पूर्ति उनके अपने गार्डन से हो जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपने बच्चों के साथ-साथ दूसरे बच्चों को भी गार्डनिंग से जोड़ रहे हैं। उनका सपना है कि उनका बेटा आगे चलकर कृषि के क्षेत्र में कुछ करे। उनके बेटे को भी गार्डनिंग में काफी दिलचस्पी है। वह भी हर दिन गार्डन में कुछ न कुछ करता रहता है। वह आगे कहते हैं कि उन्हें बहुत ख़ुशी होती है जब उनके बच्चे उनके साथ गार्डनिंग करते हैं।
वैसे भी, बहुत ज़रूरी है कि हम बच्चों को खुद उनका खाना उगाना सिखाएं। और यह सीख सिर्फ उनके बच्चों तक सीमित न रहे इसलिए उन्होंने स्कूल-कॉलेज के बच्चों के लिए भी अपने गार्डन को खोला हुआ है। छात्र अपने शिक्षकों के साथ उनके यहाँ विजिट करने आते हैं और इसकी कोई फीस नहीं है।
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आजकल शहर बड़ी-बड़ी इमारतों से भरे हुए कंक्रीट जंगल बनते जा रहे हैं। जगह की कमी है, इसलिए लोगों को अपनी छतों को उपयोगी तरीकों से इस्तेमाल में लेना चाहिए। जरा सोचिये, अगर सभी छतों पर हरियाली हो तो यह नज़ारा कितना प्यारा होगा। हम सबको साथ मिलकर इस बारे में काम करना चाहिए।
अंत में वह कहते हैं, "मेरा मानना है कि गार्डनिंग में, थकान हमारी दुश्मन है, असफलता हमारी शिक्षक और देखभाल सबसे अच्छा पेस्टीसाइड है। साथ ही अच्छी प्लानिंग और जगह का सही उपयोग गार्डनिंग को बेहतर बनाता है। बीज उगाएं- और स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ें। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा देसी बीज चुनें और गार्डनिंग से प्यार करें। हैप्पी गार्डनिंग!"
मैत्रेयन से संपर्क करने के लिए आप उन्हें indragardens@gmail.com पर मेल कर सकते हैं!
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