बोकारो की रहनेवाली रेशमा रंजन ‘प्रकृति गार्डन’ (Prakriti Garden) नाम से एक यूट्यूब चैनल (Gardening Youtube channel) चलाती हैं। उनके चैनल को नौ लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी उनके हजारों फॉलोअर्स हैं, जो उनसे जुड़कर गार्डनिंग सीखते हैं। इस तरह रेशमा आज इसके ज़रिए अच्छी-खासी कमाई भी कर रही हैं (earning from youtube)।
बचपन से गार्डनिंग का शौक रखने वाली रेशमा की पौधों के प्रति दीवानगी इतनी है कि उन्होंने एक साल पहले अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी, ताकि और ज्यादा पौधे उगा सकें।
आज वह बोकारो में एक किराये के घर में रहती हैं, जहां उन्होंने तक़रीबन 2000 पौधे उगाए हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये सारे पौधे उन्होंने गमले में ही लगाए हैं, ताकि वह जहां भी जाएं पौधे साथ लेकर जा सकें।
रेशमा भागलपुर (बिहार) में पली-बढ़ी हैं, जहां उन्होंने अपने नाना-नानी से पौधे लगाना सीखा और बचपन से ही पौधे उगाना शुरू कर दिया। रेशमा ने बताया, “मेरी नानी मुझे बचपन में रोज़ पौधे, फसल और फूलों के बारे में जानकारी देती थीं। अलग-अलग तरह के हर्ब्स और घास के उपयोग आदि के बारे में जो बातें उन्होंने मुझे बताईं, वे मेरे हमेशा काम आती हैं।”
रेशमा को दुर्लभ पौधों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का बहुत शौक है। इसके अलावा, उन्हें बोनसाई से भी बेहद लगाव है। उनके पास तक़रीबन 100 बोनसाई हैं। कई बोनसाई तो उन्होंने प्राकृतिक रूप से यहां-वहां से इकट्ठा किए हैं। उन्होंने ग्राफ्टिंग करके भी कई पौधे तैयार किए हैं। उनका पहला यूट्यूब वीडियो (earning from youtube) भी ग्राफ्टिंग के ऊपर ही था।
अच्छी खासी नौकरी छोड़ YouTube चैनल का ख्याल कैसे आया?
रेशमा ने बायोलॉजी से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद, ‘द इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसोर्सेज़ (ICAR)’ से कृषि विज्ञान की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्हे एग्रीकल्चर को-ऑर्डिनेटर की नौकरी मिल गई। नौकरी के सिलसिले में वह साल 2015 में भागलपुर से बोकारो आकर बस गईं। यहां उन्होंने नौकरी के साथ-साथ फिर से एक छोटा सा गार्डन बनाना शुरू किया।
एग्रीकल्चर को-ऑर्डिनेटर का काम करते हुए, वह किसानों को खेती और सरकारी पॉलिसीज़ के बारे में जानकारी देती थीं। रेशमा कहती हैं, “मेरा काम किसानों की मदद करना था, लेकिन गांव के किसान किसी भी बदलाव के लिए तैयार नहीं होते थे। मैं अपने काम से ज्यादा खुश नहीं थी और न ही पौधे उगा पाती थी।”
नौकरी के साथ-साथ, उन्होंने यूट्यूब चैनल (earning from youtube) पर काम करना शुरू किया था। रेशमा को हॉर्टिकल्चर की अच्छी जानकारी थी, लेकिन इसका इस्तेमाल वह गांव में किसानों के साथ नहीं कर पा रही थीं। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न लोगों को गार्डनिंग की जानकारी दी जाए। धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि लोगों को गार्डनिंग के बारे में जानने का बेहद शौक है।
परिवार हुआ था काफी नाराज़
रेशमा के इस यूट्यूब चैनल (earning from youtube) को सफलता एक सामान्य से गुलाब उगाने के वीडियो से मिली। साल 2017 में उन्होंने हाइड्रोपोनिक तरीके से चना और धनिया उगाने की वीडियो बनाई थी, जिसपर उन्हें 24 मिलियन व्यूज़ मिले। धीरे-धीरे उन्हें ऑनलाइन प्रमोशन भी मिलने लगे और बचपन का उनका शौक, कमाई का ज़रिया भी बन गया। लोगों से मिले इस प्यार और शौक पूरा करने के उनके जूनून ने ही उन्हें नौकरी छोड़ने का हौसला दिया।
उस दौरान उनके घरवाले भी उनसे नाराज हो गए थे। लेकिन उनके घर में उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया।
आज वह यूट्यूब और फेसबुक के जरिए महीने के करीबन एक लाख रुपये आराम से कमा रही हैं। रेशमा कहती हैं, “मेरे लिए सबसे ज़रूरी बात यह है कि आज मैं खुश हूँ और लोगों को भी हरियाली फ़ैलाने में मदद कर पा रही हूँ।”
आप भी गार्डनिंग से जुड़ी जानकारी के लिए उनके यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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