ये कहानी चार दोस्तों की है – जिज्ञासु जोशी, हिमांशु जांगिड़, योगेश कुमार और प्रणव शर्मा। जिज्ञासु पत्रकार हैं, हिमांशु फोटोग्राफर हैं, योगेश सॉफ्टवेयर इंजीनियर और प्रणव बैंकर हैं। हालांकि चारों का पेशा अलग-अलग है, लेकिन इन सबमें एक चीज़ है, जो इन्हें एक साथ जोड़ती है। वह है घूमने का शौक़ और इसी शौक ने उन्हें कारवां रेंटल सर्विस (Carvan Rental Service) शुरू करने की प्रेरणा दी।
जब भी घूमने की बात आती है, तो चारो में एक ही तरह का जोश दिखता है। इन दोस्तों ने घूमने के शौक़ को एक नया मोड़ देते हुए ‘कारवां ट्रैवलर्स’ के नाम से कारवां रेंटल सर्विस शुरु किया है, जो पूरे भारत में लोगों को यात्रा के खूबसूरत और यादगार अनुभव दे रहा है।
शौक़ से आया Carvan Rental Service का आइडिया

बात साल 2018 की है। चारों दोस्तों की उम्र बीस के आस-पास थी और वे अपनी अगली ट्रिप की योजना बना रहे थे। जिज्ञासु बताते हैं कि उन्हें किसी ने कारवां गाड़ी से किए गए मज़ेदार रोड ट्रिप के बारे में बताया था। चारों दोस्त भी ऐसी ही गाड़ी से यात्रा का अनुभव लेना चाहते थे, लेकिन उनके उत्साह पर उस वक्त पानी फिर गया, जब उन्होंने गाड़ी का किराया सुना।
जिज्ञासु कहते हैं कि रेंटल कंपनियां गाड़ी के लिए काफी ज्यादा किराया ले रही थीं, जिससे उनके पॉकेट पर अच्छा-खासा असर पड़ता। ऐसे में चारों ने अपनी ही कारवां गाड़ी बनाने का फैसला लिया। यही वह समय था, जब इन चारों ने मिलकर भारत में कारवां वैन शुरु किया। इन्होंने ऐसी गाड़ी बनाने का सोचा, जो लोगों को एक अलग अनुभव भी दे और बजट में भी आए।
हिमांशु कहते हैं, “कारवां गाड़ी एक ऐसी चीज़ है, जो धीरे-धीरे आपके मन में उतरती है। हो सकता है कि शुरुआत में यह पसंद न आए। लेकिन धीरे-धीरे यह काफी रोमांचक लगने लगता है, क्योंकि इससे लोगों को एक तरह की स्वतंत्रता की भावना मिलती है और लोगों को अनजान, अनसुने रास्तों पर भी चलने का मौका मिलता है। कारवां में यात्रा करना आराम और रोमांच से भरा होता है।”
कोरोना बना गेमचेंजर
साल 2019 में, चारों ने बेस वाहन खरीदे और जरुरत के अनुसार उन्हें बदलना शुरू किया। यही, कारवां ट्रैवलर्स (Carvan Rental Service) की शुरुआत थी। जिज्ञासु और योगेश ने इस नए बिजनेस के लिए अपनी फुलटाइम नौकरी छोड़ दी, जबकि बाकी दोनों अपनी-अपनी पेशेवर क्षमताओं का योगदान दे रहे हैं और इसके ऑपरेशन में शामिल हैं।
चारो दोस्तों ने दो गाड़ियों के साथ शुरुआत की और जल्द ही यह संख्या बढ़कर पांच हो गई। उनका बिजनेस आकार लेने लगा, वे इस नए काम की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित थे। लेकिन तभी, कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दी।
उन्हें लगा कि शायद यह समय उनके लिए काफी नुकसानदायक रहेगा। लेकिन यह गेमचेंजर साबित हुआ। जिज्ञासु बताते हैं, “शुरुआत में यह हमारे लिए एक झटका था, क्योंकि ऐसे माहौल में लोगों का यात्रा करने का कोई सवाल ही नहीं था। हमें लगा कि बिजनेस शायद अपने डेड-एंड तक पहुंच गया है। लेकिन तभी हमें एहसास हुआ कि यह एक पर्फेक्ट सेलिंग पॉइंट है।”
जिज्ञासु बताते हैं कि महामारी को देखते हुए कई लोग इंटरनेट पर सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए सुरक्षित तरह से यात्रा करने का विकल्प तलाश रहे थे और यह विकल्प कारवां गाड़ी के साथ उनके पास मौजूद था।
कितना है किराया?

यह एक सच्चाई थी कि इस तरह से यात्रा करना नया और अलग अनुभव था। इन चार दोस्तों का अनुमान था कि शायद लोगों को इसे अपनाने में थोड़ा समय लगेगा। लेकिन इनका अनुमान गलत साबित हुआ। लोगों ने इस ओर तेजी से दिलचस्पी दिखाई। लोगों ने दूसरे देशों में रह रहे अपने रिश्तेदारों से कारवां में यात्रा के रोमांच के बारे में सुना था और अब उन्हें खुद यह अनुभव करने का मौका मिल रहा था।
वैन किराए पर देने के अलावा, यह टीम अपने ग्राहकों की पसंद के अनुसार गाड़ी को कस्टमाइज़ भी करती है। आप अपनी गाड़ी ला सकते हैं। विचार-विमर्श के बाद टीम आपको आपकी पसंद के अनुसार गाड़ी में सुविधाएं देने और आपका अनुभव यादगार बनाने की कोशिश करती है।
तीन लोगों के लिए एक गाड़ी का किराया प्रति दिन 5,500 रुपये है, जबकि पांच लोगों के लिए गाड़ी, प्रति दिन 7,500 रुपये में किराए पर ली जा सकती है। वहीं, आठ लोगों के बैठने की क्षमता वाली गाड़ी का किराया प्रतिदिन 9,500 रुपये है। किराये में ड्राइवर का चार्ज और जीएसटी शामिल है। ईंधन, राज्य कर और टोल टैक्स यात्रियों को वहन करना होता है।
क्या-क्या हैं सुविधाएं?
जब से इस ग्रूप की शुरुआत हुई थी, तब से ही चारों दोस्त एक बात के लिए अच्छी तरह से स्पष्ट थे। वे चाहते थे कि कारवां के अंदर क्रॉकरी और कटलरी, एलपीजी सिलेंडर और दो-बर्नर स्टोव के साथ एक छोटा किचन और बाथरुम भी हो।
कारवां में यात्रा करने को लेकर एक बहस इसके साथ वॉशरूम का इस्तेमाल करना हो सकता है। लोगों का मानना है कि इस मामले में व्यावहारिकता और पर्यावरण का ध्यान रखते हुए संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।
जिज्ञासु कहते हैं, “हमने फैसला किया था कि हम केमिकल टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जब कचरा मिट्टी में जाता है, तो केमिकल उसे नुकसान पहुंचाते हैं।” टीम इसकी बजाय एक ऐसे वॉशरूम मॉडल का इस्तेमाल करती है, जिसमें कम से कम पानी की जरुरत होती है।
कचरा नीचे ग्रे टैंक में जमा किया जाता है और टैंक में एक निश्चित स्तर पर आने के बाद, ड्राइवर गाड़ी को डंपिंग ग्राउंड में ले जाता है और लीवर खींचता है। ऐसे कचरे का निपटान किया जाता है और इसमें किसी के हाथ गंदे नहीं होते। हालांकि, जिज्ञासु इस बात पर जोर देते हैं कि डंपिंग प्रक्रिया के दौरान खिड़कियां बंद होनी चाहिए।
कैसे बनाएं अपना कारवां (Carvan)?

कारवां रेंटल बिजनेस शुरू करना कोई आसान काम नहीं है। कई नियम हैं, जिनका पालन करना ज़रुरी है और गाड़ी को रोड तक लाने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जो लोग इस क्षेत्र में अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए टीम ने कुछ ज़रूरी स्टेप्स बताए हैं।
1. कारवां (Carvan) का रेजिस्ट्रेशन
वे बताते हैं कि कई कारवां कंपनियां अपने वाहनों को टेंपो ट्रैवलर्स के रूप में रजिस्टर करती हैं। जबकि इन गाड़ियों के वाहनों को कैंपर वैन के रूप में रजिस्टर करवाना होता है।
जिज्ञासु बताते हैं, “बहुत कम लोग यह जानते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश ने वास्तव में साल 2010 में कारवां यात्रा शुरू की थी, लेकिन इस कॉन्सेप्ट को खत्म कर दिया, क्योंकि यह काम नहीं कर सका। हालांकि, जब हम अपनी गाड़ी रजिस्टर कराने की कोशिश में लगे थे, तब हमें किसी ने बताया कि मध्यप्रदेश में प्रक्रिया काफी अनुकूल थी और हमने रजिस्ट्रेशन वहीं से कराया।”
2. मार्केट रिसर्च

प्रणव कहते हैं कि यात्रा के साथ, एक्सपेरिमेंट ताजी हवा में सांस लेने की तरह है। वह कहते हैं, “यात्री अब केवल दर्शनीय स्थल देखना नहीं चाहते हैं। हमारे लिए इसे समझना आसान था, क्योंकि हम शिफ्ट का हिस्सा थे। हम अपने ग्रूप में ऐसे कई लोगों को जानते थे, जो यात्रा के पारंपरिक तरीके को नहीं चुनना चाहते थे। हमारे आर एंड डी के दौरान, हमने डोमेस्टिक ट्रैवल पर भारत सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण को देखा। इसमें बताया गया था कि यात्रा का अनुभवात्मक रूप यानी एक्सपेरिमेंटल फॉर्म काफी लोकप्रिय हो रहा था और इसके 2026 तक कई गुना बढ़ने का अनुमान था।”
3. आरटीओ नियम और मार्केटिंग
आप जिस भौगोलिक क्षेत्र में जाना चाहते हैं, उसके आधार पर टोल, कर आदि अलग-अलग होंगे। इस बात का ध्यान रखें।
जिज्ञासु कहते हैं कि वह सोशल मीडिया और प्रभावशाली मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बिज़नेस शुरू करने से पहले एक रणनीति तय करना काफी जरूरी है। वहीं, योगेश का कहना है कि वे कारवां गाड़ी की संख्या बढ़ाकर और B2B और D2C के लिए कारवां बदलकर अपने ऑपरेशन को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
वह कहते हैं कि कारवां बड़े पैमाने पर बढ़ने के लिए तैयार है। अब कारवां से यात्रा करना लोकप्रिय हो रहा है। यह अगल है, रोमांचक भी है और सबसे महत्वपूर्ण, यात्रा के दौरान लोगों को सारी सुविधाएं भी मिलती हैं।
जब हमने इनसे इन चारों दोस्तों से उनकी सबसे पसंदीदा हैंगआउट स्पॉट के बारे में पूछा तो वे कोई एक नाम नहीं ले सके। उनके पसंदीदा स्थानों में ऋषिकेश, स्पीति घाटी, मसूरी, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, बेसरिया नाम का एक गाँव है, जो उदयपुर से 60 किमी पहले है और मध्य प्रदेश में पातालपानी है।

तो क्या आप भी रोड ट्रिप के शौकीन हैं और दूर-दराज़ के गांवों, खूबसूरत पहाड़ियों के बीच समय बिताने और घाटियों में ड्राइविंग के रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं, तो कारवां आपका इंतजार कर रहा है।
संक्षेप में
- सेक्टर: यात्रा
- स्थापना वर्ष: 2019
- हेड-क्वार्टर: दिल्ली
- फंड रेजिंग: बूटस्ट्रैप्ड
- फाउंडर्स: जिज्ञासु जोशी, योगेश कुमार, हिमांशु जांगिड़, प्रणव शर्मा
मूल लेखः कृस्टल डिसूजा
संपादनः अर्चना दुबे
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