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स्वतंत्रता

एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द!

By निशा डागर

अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!

सुचेता कृपलानी : भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री; संभाली थी सबसे बड़े राज्य की बागडोर!

1966 में इंदिरा गाँधी के रूप में एक महिला प्रधानमंत्री को चुनने वाला भारत पहला कार्यात्मक लोकतंत्र था। हालांकि, बहुत कम लोग ही इस तथ्य से अवगत हैं कि इसके तीन साल पहले उत्तर प्रदेश ने सुचेता कृपलानी को भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुना था।

चापेकर बंधू: इन भाइयों ने पुणे से शुरू की थी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की लड़ाई!

बाल गंगाधर तिलक द्वारा अपने अखबार ‘केसरी’ में इस्तेमाल की जाने वाली उत्तेजक भाषा से प्रभावित होकर इन्होंने रैंड के ख़िलाफ क़दम उठाने का फ़ैसला किया, क्योंकि उसने पुणे के कई परिवारों को अपमानित किया था।

दुर्गाबाई देशमुख: संविधान के निर्माण में जिसने उठाई थी स्त्रियों के लिए सम्पत्ति के अधिकार की आवाज़!

By निशा डागर

दुर्गाबाई देशमुख, एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सेवा की, बल्कि कानून की पढ़ाई कर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। साल 1946 में गठित हुई संविधान सभा का वे अभिन्न अंग थीं। इसके अलावा उन्हें भारत में 'सामाजिक कार्यों की जननी' कहा जाता है।

जब 501 रूपये में बिका भारत में बना पहला नमक का पैकेट!

By निशा डागर

12 मार्च 1930 को गाँधी जी ने अपने साथियों के साथ साबरमती से 'दांडी मार्च' शुरू किया था, जिसे इतिहास में 'नमक सत्याग्रह' के नाम से जाना जाता है। उनके नेतृत्व में हज़ारों लोगों ने इस अहिंसात्मक आन्दोलन में भाग लिया। जगह-जगह पर लोगों ने नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी।

काकोरी कांड में नहीं था कोई हाथ, फिर भी फाँसी के फंदे पर झूल गया था यह क्रांतिकारी!

By निशा डागर

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश  के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। 9 अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक उल्ला खान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सजा दी थी।

प्रफुल्लचंद्र चाकी : देश पर मर मिटने वालों में एक नाम यह भी है!

By निशा डागर

प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में है) के बिहारी गाँव में हुआ था। उन्होंने खुदीराम बोस के साथ मिलकर ब्रिटिश अधिकारी किंग्स्फोर्ड की बग्घी पर बम फेंका। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने घेर लिया था और ऐसे में प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद: देश के प्रथम राष्ट्रपति, जिन्होंने पूरे कार्यकाल में लिया केवल आधा वेतन!

By निशा डागर

डॉ राजेन्द्र प्रसाद न केवल देश के पहले राष्ट्रपति थे बल्कि उन्हें जन-साधारण का राष्ट्रपति कहा जाता है। 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के एक गाँव में जन्में राजेन्द्र बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। स्वतंत्रता के बाद वे पहले राष्ट्रपति बने। उनकी बौद्धिक क्षमता का कोई सानी नहीं था।