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बीमार-ज़रूरतमंद लोगों को अपने ऑटो से मुफ़्त में अस्पताल पहुंचता है यह ऑटो वाला!

By निशा डागर

सुनील अपने ऑटो में दिव्यांग और गरीब लोगों को 1.5 किलोमीटर तक मुफ़्त में सवारी देते हैं।

आधुनिक 'श्रवण कुमार' : 200+ बेसहारा बुजुर्गों को पहुंचाते हैं खाना, अब बनवा रहे हैं उनके लिए घर!

By निशा डागर

सिर्फ़ 2 टिफ़िन के साथ शुरू हुई उनकी यह सर्विस आज पूरे 235 टिफ़िन तक पहुँच चुकी है।

पुणे के ये दोनों आर्किटेक्ट बना रहे हैं सीमेंट-रहित ऐसे घर, जिनमें न एसी की ज़रूरत है, न फैन की!

By सुकांत सुमन

महाराष्ट्र में रहने वाले ध्रुवंग हिंगमिरे और प्रियंका गुंजिकर कोई सामान्य आर्किटेक्ट नहीं हैं। ये दोनों पति-पत्नी ऐसे घरों का निर्माण करते हैं, जिसमें प्राकृतिक निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो। स्थानीय परिवेश और वातावरण को ध्यान में रखकर बनाये गये इनके घरों में न तो किसी एसी की जरूरत है और न ही पंखे की।

भारत का एकमात्र 'वर्ल्ड हरिटेज सिटी', दिल्ली या मुंबई नहीं, बल्कि यह ऐतिहासिक शहर है!

By निशा डागर

अहमदाबाद भारत का पहला शहर है, जिसे 'वर्ल्ड हेरिटेज सिटी' होने का ख़िताब प्राप्त हुआ। 8 जुलाई 2017 को यह घोषणा की गयी। 600 साल पुराने इस शहर में सुल्तानों, अफ्रीकी मूल के सिदी बादशाहों, मुगल सम्राटों और महात्मा गाँधी की कहानियाँ बसी हैं।

मैं तब तक आराम से नहीं बैठूंगी, जब तक मेरी बेटियाँ सबको बता न दें कि वे कितना कुछ कर सकती हैं!

By निशा डागर

आज द बेटर इंडिया पर पढ़िए Humans of Bombay से अनुवादित पोस्ट। मुंबई की इस आम-सी महिला की कहानी, जो अपने पति के देहांत के बाद हर सम्भव तरीके से अपनी बेटियों को पाल रही है। वह नहीं चाहती कि उसकी बेटियों को कभी भी यह लगे कि लड़कियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।

'एक एकड़ में 12 हज़ार पेड़' : मुंबई शहर के बीचो-बीच हो रहा है यह कमाल!

महाराष्ट्र के मुंबई में, 'ग्रीन यात्रा' नामक एनजीओ पूरे शहर भर में एक ख़ास जापानी 'मियावाकी तकनीक' से कम समय में घने जंगल उगा रहा है। इनका मिशन, साल 2025 तक 10 करोड़ पेड़ लगाना है और फ़िलहाल, साल 2019 में उन्होंने 10 लाख पेड़ लगाने की पहल शुरू की है |

"परिवार सबसे पहले आता है!"

By निशा डागर

हमें हमेशा सिखाया गया कि परिवार सबसे पहले आता है। हमने अपने पिता को बहुत पहले खो दिया और हमारे भाई और भाभी ने हमें पाला। मैं 4 बहनों और दो भाइयों के साथ बड़ी हुई। अब हम सबके अपने परिवार हैं। लेकिन फिर भी हम ने हमेशा एक दुसरे के आस-पास ही रहने का फैसला किया।

"मैं खुद अपना बॉस हूँ; कोई मुझे काम से निकाल नहीं सकता!"

By निशा डागर

पढ़िए मुंबई में रहने वाले इस मोची के बारे में, जिन्हें अपने काम से पूरी संतुष्टि है और उन्हें कोई डर नहीं कि कोई उन्हें काम से निकाल देगा। वे अब खुद अपने बॉस हैं।

अपना दर्द भूल कर, इस माँ ने केवल अपने बेटे को ही नहीं, बल्कि 71 बधीर बच्चों को बनाया सक्षम!

By मानबी कटोच

सुचिता और श्रीकांत बंसोड की स्वयं सेवी संस्था ‘एकविरा मल्टीपर्पस फाउंडेशन’ से आज 71 बधीर बच्चे नॉर्मल स्कूल में जा चुके हैं और फ़िलहाल यहाँ 55 बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है।