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रानी गाइदिन्ल्यू: 17 साल की उम्र में हुई थी जेल, आज़ादी के बाद ही मिली रिहाई

By निशा डागर

रानी गाइदिन्ल्यू, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार और उनकी नीतियों के विरुद्ध अभियान चलाया था और अपनी क्रांति के लिए 14 साल तक कारावास में भी रहीं।

हिन्दी पत्रकारिता जगत को रौशन करने वाला पहला सूर्य, 'उदन्त मार्तण्ड'!

By निशा डागर

साल 1826 के फरवरी महीने में वकील युगल किशोर शुक्ल को उनके एक साथी मुन्नू ठाकुर के साथ 'हिंदी समाचार पत्र' निकालने का लाइसेंस मिल गया। और फिर 30 मई 1826 को 'उदन्त मार्तण्ड' समाचार पत्र का पहला अंक प्रकाशित हुआ या फिर कहना चाहिए कि औपचारिक रूप से हिंदी पत्रकारिता का उद्भव हुआ।

एक दक्षिण अफ्रीकी पायलट और युवा जेआरडी टाटा की सोच का परिणाम है भारत का एयरलाइन सेक्टर!

JRD Tata उद्योगपति जेआरडी टाटा और दक्षिण अफ्रीकी पायलट नेविल विंसेंट द्वारा साल 1932 में शुरू की गई टाटा एयर सर्विसेज. indian airline

आज़ादी की लड़ाई में बिछड़ी पत्नी से 72 साल बाद मिले 90 वर्षीय स्वतन्त्रता सेनानी; दिल छू जाने वाला था मंज़र!

By निशा डागर

केरल का एक विवाहित जोड़ा, जो कि साल 1946 में किसान आंदोलन के दौरान एक-दुसरे से बिछुड़ गया था; पुरे 72 साल बाद एक-दूजे से मिला। 90 वर्षीय ए. के. नाम्बियार उस समय केरल के गांव कवुम्बई के किसान आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल चले गया और उन्हें उनकी पत्नी शारदा (अब 86 वर्षीय) से बिछड़ना पड़ा था।

काकोरी कांड में नहीं था कोई हाथ, फिर भी फाँसी के फंदे पर झूल गया था यह क्रांतिकारी!

By निशा डागर

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म शाहजहाँपुर, उत्तर-प्रदेश  के खेड़ा नवादा गाँव में 22 जनवरी, 1892 को एक किसान परिवार में हुआ था। 9 अगस्त 1927 को हुए काकोरी कांड के लिए ब्रिटिश सरकार ने राम प्रसाद 'बिस्मिल', अशफ़ाक उल्ला खान और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के साथ-साथ ठाकुर रोशन सिंह को भी फाँसी की सजा दी थी।

उत्तर-प्रदेश: महज़ 75 परिवारों के इस गाँव के हर घर में हैं एक आईएएस या आईपीएस अफ़सर!

By द बेटर इंडिया

कहा जाता है कि इस गाँव में सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी ही जन्म लेते हैं। पूरे जिले में इसे अफ़सरों वाला गाँव कहते हैं।

काकोरी कांड का वह वीर जिसे अंगेज़ों ने तय समय से पहले दे दी फाँसी!

By निशा डागर

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में ये बंगाल से बनारस आ गये। एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ये क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल से जुड़ गये। काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारियों में एक थे लाहिड़ी।

प्रफुल्लचंद्र चाकी : देश पर मर मिटने वालों में एक नाम यह भी है!

By निशा डागर

प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में है) के बिहारी गाँव में हुआ था। उन्होंने खुदीराम बोस के साथ मिलकर ब्रिटिश अधिकारी किंग्स्फोर्ड की बग्घी पर बम फेंका। जिसके बाद उन्हें पुलिस ने घेर लिया था और ऐसे में प्रफुल्ल ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।

इश्वर चंद्र विद्यासागर की देख-रेख में, इस साहसी महिला ने किया था भारत का पहला कानूनन विधवा-पुनर्विवाह!

By निशा डागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर जिन्होंने हिन्दू विधवा-पुनर्विवाह का कानून पारित करवाया था। यह एक्ट जुलाई 1856 में पारित हुआ था। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 7 दिसंबर 1856 को एक विधवा लड़की कालीमती का पुनर्विवाह अपने एक साथी चंद्र विद्यारतना से करवाया था। यह देश में कानूनन पहला विधवा-विवाह था।