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मुंबई: 22 साल की युवती ने स्टेशन को बनाया स्कूल, गरीब बच्चों को दे रही हैं मुफ़्त शिक्षा!

मुंबई में रहने वाली 22 वर्षीय हेमंती सेन को आप हर दिन कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर 15 से भी ज़्यादा बच्चों को गिनती, वर्णमाला, शब्द, चित्रकारी आदि सिखाते हुए देख सकते हैं – वो भी बिना किसी फीस के! ये सभी बच्चे स्टेशन के आस-पास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले भिखारियों के बच्चे हैं।

वाराणसी : ईंट-भट्ठों के किनारे लगती है पाठशाला, 2000 से भी ज्यादा बच्चों को पढ़ा रहे है युवा!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के वाराणसी में युवाओं का एक संगठन ईंट के भट्ठों पर मजदूरी करने वाले बच्चों के जीवन को सँवारने की मुहीम चला रहा है। संगठन का नाम है 'मानव संसाधन एवं महिला विकास संगठन' और इसकी शुरुआत की है डॉ. भानुजा शरण लाल ने। इनके प्रयासों से आज लगभग 1000 बच्चों का स्कूल में दाखिला हो चूका है।

मुसलमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु, जिनकी वजह से बने किसानों के हित में कानून!

By निशा डागर

मुस्लमानों के रहबर-ए-आज़म और हिन्दुओं के दीनबंधु सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर 1881 में झज्जर के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने वकालत की डीग्री ली। ताउम्र उन्होंने किसानों और गरीबों के लिए काम किया। 9 जनवरी 1945 को उनका निधन हुआ।

इस सॉफ्टवेयर की मदद से गरीब बच्चों को वापिस स्कूल से जोड़ रही हैं कैप्टेन इंद्राणी सिंह!

By निशा डागर

कैप्टेन इंद्राणी सिंह ने साल 1996 में हरियाणा के गुडगांव में लिटरेसी इंडिया एनजीओ शुरू किया। लिटरेसी इंडिया का मुख्य केंद्र आज गुरुग्राम के बजघेड़ा गाँव में है। इस एनजीओ का उद्देश्य गरीब बच्चों की शिक्षा की दिशा में काम करना था। इसके लिए उन्होंने ज्ञानतंत्र डिजिटल दोस्त उद्भव सोफ्टवेयर बनवाया है।

मुंबई: बस्ता टांगकर फिर से स्कूल पहुंचे 72 वर्षीय मुकुंद चारी, जानिए क्यों!

By निशा डागर

मुंबई के मुकुंद चारी ने 72 साल की उम्र में फिर एक बार स्कूल में दाखिला लिया है और कक्षा 7वीं से पढाई शुरू की है। मुंबई में ग्रांट रोड निवासी मुकुंद सिक्यॉरिटी गार्ड के रूप में रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने 1950 के दशक में मराठी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की थी।