हरियाणा में झज्जर के एक गाँव में रहने वाले कुलदीप सुहाग, अपनी दो एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। इस काम में उनके घर के सभी छोटे-बड़े बच्चे उनकी मदद कर रहे हैं।
ज्ञानरंजन की अधिसंख्य कहानियों में स्पष्ट दिखने वाली वैयक्तिकता रचनात्मकता के ही रास्ते जिस सफलता से सामाजिक हो जाती है, वह उनकी निजी और खास विशेषता है। आज पढ़ते हैं, उनकी इन्हीं कहानियों में से एक - पिता!
मुंबई के भिवांडी में एक पैपरफ्राई फैक्ट्री में काम करने वाला एक सेवा अधिकारी अपने पिता के सपनों को हर हाल में पूरा कर रहा है। नौकरी के साथ-साथ पढाई करना और अपने घर को चलाने में मदद करने वाले इस युवा के हौंसले को सलाम!
मध्य-प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली जूही झा ने अपने जीवन के 12 साल सार्वजनिक शौचालय भवन के कमरे में बिताये हैं। उनके पिता शौचालय में कर्मचारी थे। लेकिन आज जूही खो-खो में चैंपियन हैं। उन्हें सरकार ने विक्रम पुरुस्कार से सम्मानित किया है।