Powered by

Latest Stories

HomeTags List झारखंड

झारखंड

न बीज खरीदें, न पौध, मुफ्त में लाये कटिंग और उगा दिए 400 पेड़-पौधे

By निशा डागर

आप बीज या पौध न भी खरीदना चाहें, तब भी अपना घर हरियाली से भर सकते हैं। पढ़िए कैसे सिर्फ कटिंग से इन्होंने सैंकड़ों पौधे लगा दिए।

वोकल फॉर लोकल की मिसाल है शोभा कुमारी की कला, 1000+ महिलाओं को दी है फ्री ट्रेनिंग

By निशा डागर

रांची, झारखंड की रहने वाली शोभा कुमारी, पिछले 27 सालों से हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अपने संगठन ‘सृजन हैंडीक्राफ्ट्स’ के जरिए, वह हैंडीक्राफ्ट बैग और मिट्टी की गुड़िया जैसी चीज़ें बना रही हैं। उन्होंने अब तक हजार से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क ट्रेनिंग दी है। साथ ही, वह 40 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

ठंड में ठिठुरने को मजबूर थे इस गाँव के लोग, इन युवाओं ने पॉकेट मनी बचाकर बिखेरी मुस्कान

सारदाह गाँव के लोगों की दैनिक आमदनी 50 रुपए है, जिस वजह से सर्दी के मौसम में इनके लिए गर्म कपड़े खरीदना आसान नहीं है।

पॉलिथीन दीजिए, पौधे लीजिए: प्लास्टिक के बदले बांटे लगभग 1 लाख पौधे

By निशा डागर

'पॉलिथीन डोनेट मिशन' के तहत उपेन्द्र पांडेय लोगों को बेकार और पुरानी पॉलिथीन कचरे में फेंकने की बजाय उन्हें देने के लिए कहते हैं और फिर इन्हीं में बांटने के लिए पौधे तैयार करते हैं!

बदहाल भवनों को लाइब्रेरी का रूप दे रहा झारखंड का यह आईएएस अधिकारी

झारखंड के जामताड़ा के जिलाधिकारी आईएएस फैज अहमद ने, जिले में पुस्तकालयों को बढ़ावा देने के लिए अनोखी पहल छेड़ी है। इसके तहत उन्होंने पिछले एक महीने में सात बेकार भवनों को पुस्तकालय का रूप दे दिया।

#हमराही: नौकरी छोड़ पहुँच गए गाँव, 'साबुन' से बना दिया सैकड़ों महिलाओं को सशक्त!!

By निशा डागर

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अनुराग और शिखा ने कॉलेज के दिनों से ही ठान लिया था कि वे आगे चलकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने के लिए काम करेंगे!

झारखंड: चपरासी का काम करते हुए भी बेटों को बनाया आईएएस, डॉक्टर और इंजिनियर!

झारखंड में रजरप्पा के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड टाउनशिप में चपरासी के पद पर काम करने वाली 60 वर्षीय सुमित्रा देवी के विदाई समारोह में उनके सहकर्मियों और टाउनशिप के निवासियों के साथ-साथ उनके तीनों बेटे भी मौजूद थे। उनके बेटे आज जिला कलेक्टर, डॉक्टर और रेलवे इंजिनियर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।

झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

तिलका मांझी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में 'तिलकपुर' नामक गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। साल 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह से भी पहले साल 1770 में उन्होंने आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। कई लेखकों और इतिहासकारों ने उन्हें 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' होने का सम्मान दिया है।

बिहार: 15-वर्षीय लड़की के लिए फ़रिश्ता बना किन्नरों का एक समूह, बचाया तस्करी से!

By निशा डागर

बिहार के नवादा जिले से ताल्लुक रखने वाली एक नाबालिग लड़की को इसके पिता ने 1.5 लाख रूपये के लिए एक 50 साल के आदमी को शादी के लिए बेच दिया था। इस आदमी ने भी लड़की को फिर से बेचने की कोशिश की। लेकिन इस बार लड़की को किन्नरों के एक समूह ने बचाया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।