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उड़ीसा : न स्कूल था न पैसे, फिर भी अपने बलबूते पर किसान की बेटी ने की सिविल सर्विस की परीक्षा पास!

By निशा डागर

रावेनशॉ यूनिवर्सिटी, कटक से पीएचडी कर रहीं संध्या समरत, उड़ीसा के मलकानगिरी जिले के एक छोटे से गाँव सालिमी से हैं। संध्या ने उड़ीसा सिविल सर्विस परीक्षा 2018 में 91वीं रैंक प्राप्त की है। उनका सपना एक प्रशासनिक अधिकारी बनकर अपने जिले और गाँव में विकास करना है।

पगड़ी को पट्टी की तरह इस्तेमाल कर बचायी जान; वाकई इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता!

By निशा डागर

जम्मू-कश्मीर में त्राल तहसील के देवर गाँव के निवासी, मंजीत ने एक सड़क दुर्घटना में खून से लथपथ औरत की जान बचाने के लिए अपनी पगड़ी उतारकर उसे पट्टी की तरह इस्तेमाल किया ताकि उस औरत का खून और ज्यादा ना बहे। अवंतीपोरा में एक 45 वर्षीय औरत को तेज रफ़्तार से आ रहे एक ट्रक ने टक्कर मार दी।

दुर्गा भाभी : जिन्होंने भगत सिंह के साथ मिलकर अंग्रेज़ो को चटाई थी धूल!

By निशा डागर

दूर्गा देवी वोहरा अका दुर्गा भाभी- जिन्होंने खुद गुमनामी की ज़िन्दगी जीकर भी देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी। दुर्गा देवी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया बल्कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर भी इनका गहरा प्रभाव रहा।

दो दशक पहले सबरीमाला मंदिर में जाने वाली पहली महिला थी यह आइएएस अफ़सर!

By निशा डागर

सुप्रीम कोर्ट ने सभी उम्र की महिलायों को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति देते हुए सदियों से औरतों के खिलाफ हो रहे इस भेदभाव को खत्म कर दिया है। लेकिन इस फैसले से दो दशक पहले, एक महिला आइएएस अफसर, के. बी. वलसला कुमारी को अपनी ड्यूटी के चलते सबरीमाला मंदिर जाने की अनुमति मिली थी।

पूरी दुनिया में कर्नाटक की इन महिलाओं द्वारा बनाये गए तिरंगों को किया जाता है सलाम!

By निशा डागर

कर्नाटक का तुलसीगरी में भारत की एकमात्र तिरंगा बनाने वाली कंपनी हैं। कर्नाटक कॉटन विलेज एंटरप्राइज में अधिकांश स्थानीय औरतें काम करती हैं। राजधानी से 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) दूर इस कंपनी में लगभग 400 कर्मचारी काम करते हैं। जिनमें से औरतों की संख्या पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा है। 

स्त्री की स्वतंत्रता की नई आवाज है अनुराधा बेनीवाल की ‘आज़ादी मेरा ब्रांड’!

अनुराधा बेनीवाल के यूरोप घुमने के अनुभवों पर आधारित किताब 'आज़ादी मेरा ब्रांड' की पुस्तक समीक्षा. यह किताब स्त्री जाती को खुलकर जीने की राह दिखाती है.