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इतिहास के पन्नों से

जानिए कैसे एक 90 साल पुरानी डायरी से खुला, कोलकाता से कश्मीर तक की साइकिल यात्रा का राज़

By निशा डागर

आजादी से पहले, चार बंगाली युवकों द्वारा साइकिल पर तय किया गया सफर, यात्रा के प्रति रोमांच, धैर्य और प्रेम को दर्शाता है। 90 सालों से सहेजकर रखी गयी इस डायरी में आसनसोल से लाहौर होते हुए इस यात्रा का पूरा विवरण है।

दुर्गाबाई देशमुख: संविधान के निर्माण में जिसने उठाई थी स्त्रियों के लिए सम्पत्ति के अधिकार की आवाज़!

By निशा डागर

दुर्गाबाई देशमुख, एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सेवा की, बल्कि कानून की पढ़ाई कर महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। साल 1946 में गठित हुई संविधान सभा का वे अभिन्न अंग थीं। इसके अलावा उन्हें भारत में 'सामाजिक कार्यों की जननी' कहा जाता है।

जब शिवाजी महाराज की सुरक्षा के लिए एक नाई ने दी अपने प्राणों की आहुति!

By निशा डागर

हमारे देश में हर साल 19 फरवरी को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है। शिवाजी महाराज का नाम इतिहास के पन्नों में अमर है। लेकिन उनके लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई ऐसे उनके साथी हैं, जिनके नाम आज कहीं धुंधला गये हैं। शिवा काशीद और बाजी प्रभु देशपांडे इन नामों में से एक हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा : वह भारतीय अफ़सर, जिसकी रणनीति ने दिलाई थी बांग्लादेश को आज़ादी!

By निशा डागर

लेफ्टिनेंट जगजीत सिंह अरोड़ा का नाम उन भारतीय अफ़सरों और सैनिकों की फ़ेहरिस्त में सबसे पहले आता है, जिन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ादी दिलवाई। उनके सामने ही पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने अपने 93, 000 सैनिकों के साथ आत्म-समर्पण किया।

टेलीविज़न के इतिहास की एक बेजोड़ कृति; कैसे बनी थी, श्याम बेनेगल की 'भारत एक खोज'!

By निशा डागर

श्याम बेनेगल हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध निर्देशक हैं। 14 नवंबर 1934 को आंध्र-प्रदेश में जन्में श्याम बेनेगल ने फिल्मों के साथ-साथ टीवी धारावाहिक व डोक्युमेंटरी भी बनाई हैं। उनके द्वारा भारतीय इतिहास पर बना दूरदर्शन का धारावाहिक 'भारत एक खोज' नेहरु की किताब 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' पर आधारित था।

ठाणे नहीं, रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली थी देश की पहली ट्रेन!

By निशा डागर

इतिहास के मुताबिक, भारत में सबसे पहली ट्रेन साल 1853 में मुंबई(तब बॉम्बे) से ठाणे के बीच चलाई गयी थी। लेकिन इतिहास के इस दावे को IIT रुड़की ने चुनौती दी। संस्थान में रखी हुई एक किताब के मुताबिक साल 1851 में चलने वाली पहली रेल एक मालगाड़ी थी जो रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली।

सखाराम गणेश देउस्कर: 'बंगाल का तिलक,' जिसकी किताब पर अंग्रेज़ों ने लगा दी थी पाबंदी!

By निशा डागर

देउस्कर ने बहुत सारे ऐसे लेख लिखे, जिनका उद्देश्य भारतीय जनता को अपने अतीत और वर्तमान का ज्ञान कराना था। सखाराम गणेश देउस्कर

वासुदेव बलवंत फड़के: वह क्रांतिकारी जिनकी आदिवासी सेना ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवाये!

By निशा डागर

vasudev balwant phadke का जन्म 4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगड जिले के शिरढोणे गांव में हुआ था। साल 1857 की क्रांति की विफलता

जतिंद्रनाथ दास: वह क्रांतिकारी जिसने देश की आज़ादी के लिए जेल में दे दी अपनी जान!

By निशा डागर

कोलकाता के एक साधारण बंगाली परिवार में 27 अक्टूबर 1904 को जन्मे जतिंद्रनाथ दास महज 16 साल की उम्र में ही देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए थे। लाहौर षड्यंत्र केस में उन्हें भी भगत सिंह व बाकी साथियों के साथ पकड़ा गया। लाहौर जेल में भाख हड़ताल करते हुए 63वें दिन उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।