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आज़ादी

मंगल पांडेय से 33 साल पहले इस सेनानी ने शुरू की थी अज़ादी की जंग!

By निशा डागर

बिंदी तिवारी की शहादत के बाद अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ भारत में बल्कि इंग्लैंड में भी निंदा हुई, और तो और बहुत से भारतीय अफसरों और सैनिकों ने ब्रिटिश सेना छोड़ दी!

आज़ाद हिन्द फ़ौज के कमांडर का अनसुना किस्सा, शाहरुख खान से भी जुड़े हैं तार!

By निशा डागर

ब्रिटिश सेना को छोड़कर आज़ाद हिन्द फ़ौज में भर्ती हुए थे शाह नवाज़ खान, फिर भी बना दिए गए - 'एक देशद्रोही'!

सुचेता कृपलानी : भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री; संभाली थी सबसे बड़े राज्य की बागडोर!

1966 में इंदिरा गाँधी के रूप में एक महिला प्रधानमंत्री को चुनने वाला भारत पहला कार्यात्मक लोकतंत्र था। हालांकि, बहुत कम लोग ही इस तथ्य से अवगत हैं कि इसके तीन साल पहले उत्तर प्रदेश ने सुचेता कृपलानी को भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुना था।

देश की आज़ादी के लिए अमेरिका की सुकून भरी ज़िंदगी छोड़ आई थी यह स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

गुलाब ने न सिर्फ़ अपने पति बल्कि सभी तरह की सुविधाओं से भरपूर अपनी आगे की ज़िंदगी को भी छोड़ दिया और देश के लिए आज़ादी की लड़ाई का हिस्सा बन गयीं।

'कर्नल' निज़ामुद्दीन: वह वीर, जिसने खुद गोली खाकर बचायी थी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जान!

एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक, 'कर्नल' निज़ामुद्दीन का जन्म उत्तर- प्रदेश में हुआ था। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राईवर और बॉडीगार्ड थे। उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिए खुद बंदूक की तीन गोलियाँ खायी थीं। 6 फरवरी 2017 को अपने गाँव में उन्होंने आख़िरी सांस ली।

तिलका मांझी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला स्वतंत्रता सेनानी!

By निशा डागर

तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में 'तिलकपुर' नामक गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। साल 1857 में मंगल पांडे के विद्रोह से भी पहले साल 1770 में उन्होंने आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी। कई लेखकों और इतिहासकारों ने उन्हें 'प्रथम स्वतंत्रता सेनानी' होने का सम्मान दिया है।

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा, जिन्होंने सही मायनों में सेना को 'भारतीय सेना' बनाया!

फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा को बहुत-सी ऐसी बातों के लिए जाना जाता है, जो भारत में पहली बार हुईं। पर फिर भी उनकी सबसे अहम पहचान है कि उन्होंने ही हमारी सेना को सही मायने में भारतीय सेना बनाया है। वे स्वतंत्र भारत में वे भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।