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जानिये कैसे, मेरठ की बेटी, बिना तकनीकी शिक्षा के, बनीं अमेरिका में CEO

By पूजा दास

मेरठ में जन्मीं, अर्जिता सेठी ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में, अपने पति अंशुल धवन के साथ मिलकर, एक EdTech स्टार्टअप ‘Equally’ की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत शिक्षा के लिए ‘ऑगमेंटेड रियलिटी’ (AR) का उपयोग किया जाता है।

पंजाब: अमेरिका से लौटकर शुरू की प्राकृतिक खेती, 17 परिवारों तक पहुंचा रहे हैं जैविक भोजन

By निशा डागर

मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।

हर दिन 7 क्विंटल टमाटर उगाती हैं UP की यह महिला किसान, विदेश तक जाती है उपज

By निशा डागर

विट्टलपुर, उत्तर-प्रदेश की रहने वाली सफल महिला किसान, कनक लता, टमाटर की दो किस्म- दुर्ग और आर्यमन की खेती कर रहीं हैं, जो अब स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशों तक भी पहुँच रहे हैं।

अमेरिका की नौकरी छोड़, किडनी मरीजों को आधे दाम पर डायलिसिस सुविधा दे रहे हैं शशांक

By निशा डागर

मुंबई के शशांक मोधिया ने साल 2019 में अपने स्टार्टअप 'द रीनल प्रोजेक्ट' की शुरुआत की और इसके तहत वह टियर II और टियर III शहरों में रहने वाले 150 किडनी मरीजों को नियमित रूप से किफायती डायलिसिस की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।

अमेरिका में एप्पल की नौकरी छोड़, अपने गाँव में बन गए किसान; बच्चों को दी ज़मीन से जुड़ी शिक्षा!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में जरारा गाँव के रहने वाले अभिनव गोस्वामी, साल 2007 से अमेरिका में रह रहे थे। पर अपने देश के लिए कुछ करने का जज़्बा उन्हें वापिस अपने वतन ले आया। यहाँ आकर उन्होंने जैविक खेती, डेयरी फार्म, मधुमक्खी पालन आदि शुरू किया। उनका उद्देश्य बच्चों को स्किल बेस्ड शिक्षा देना है।

3000 से भी ज़्यादा कारीगरों को रोज़गार देकर, 'पश्मीना' की विरासत को सहेज रहा है यह कश्मीरी युवक!

By निशा डागर

कश्मीर में श्रीनगर के रहने वाले 29 वर्षीय जुनैद शाहदार ने पश्मीना की विरासत और संस्कृति को सहेजने के लिए 'फम्ब' नाम से एक ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया है। फम्ब फैशन हाउस से आप हाथ से बनी पश्मीना शॉल, स्कार्फ़, ब्लेज़र आदि खरीद सकते हैं। उनके इस स्टार्टअप से आज 3, 000 हाथ के कारीगरों को रोज़गार मिल रहा है।

भूरी बाई: जिस भारत-भवन के निर्माण में की दिहाड़ी-मजदूरी, वहीं पर बनीं मशहूर चित्रकार!

By निशा डागर

मध्य-प्रदेश जनजातीय संग्राहलय में कलाकार के पद पर काम करने वाली भील चित्रकर भूरीबाई बरिया आज कला और संस्कृति जगह का प्रसिद्द नाम है। उनकी बनाई पेंटिंग्स मध्य-प्रदेश के संग्रहालय से लेकर अमेरिका तक अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। वे भील आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं और आज अपनी 'पिथोरा चित्रकला' को आगे बढ़ा रही हैं। क

ज़िंदगी को पूरी तरह से जियो ताकि आख़िरी पलों में कोई पछतावा न रहे!

By निशा डागर

Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।

डॉ. राधाबिनोद पाल: वह भारतीय न्यायधीश, जिन्हें जापान ने अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा!

By निशा डागर

भारतीय न्यायधीश राधाबिनोद पाल, दुसरे विश्वयुद्ध के बाद सहयोगी राष्ट्रों द्वारा आयोजित किये गये 'टोक्यो ट्रायल' के 11 न्यायधीशों में से एक थे। पर पाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि युद्ध में केवल नाज़ी गलत नहीं थे बल्कि मित्र राष्ट्रों ने भी गलत किया। 'टोक्यो ट्रायल' सीरीज़ में पाल का किरदार इरफ़ान खान ने निभाया है।

डॉ. हरगोविंद खुराना: वह वैज्ञानिक जिसने डीएनए को किया था डिकोड!

By निशा डागर

Dr. Hargovind Khurana महान भारतीय-अमेरिकी बायोकेमिस्ट हरगोविंद खुराना का ब्रिटिश भारत में 9 जनवरी, 1922 को पंजाब के छोटे से गाँव।