चाहते हुए भी आप घर के गीले कचरे से खाद सिर्फ इसलिए नहीं बनाते, क्योंकि आपको लगता है कि यह एक लम्बा प्रोसेस है और इससे पुरे घर में दुर्गन्ध फैल जाती है। तो पावनी लोला का आविष्कार है आपके काम की चीज।
साल 1998 में कौस्तुभ ताम्हनकर ने 'गार्बेज फ्री लाइफस्टाइल' पर काम करना शुरू किया था। आज उनके यहाँ से किसी भी तरह का कोई कचरा डंपयार्ड या फिर लैंडफिल में नहीं जाता!
राखी मित्तल के मुताबिक, घर के गीले कचरे से बनी खाद पेड़-पौधों के लिए सबसे उत्तम होती है। यह पोषण से भरपूर, उच्च गुणवत्ता वाली होती है। इसलिए ही इसे 'काला सोना' कहा जाता है!