बेंगलुरु की रहने वाली सुशीला राय एक होम बेकर और केक आर्टिस्ट हैं, लेकिन इसके साथ ही, उनके जानने वाले उन्हें 'जुगाड़ क्वीन' भी कहते हैं क्योंकि, पुरानी-बेकार चीजों को नया रूप देकर फिर से इस्तेमाल में लेने में वह माहिर हैं।
फरीदाबाद में ऑटो पिन स्लम में रहने वाले 20-25 बच्चों ने पहले साथ में मिलकर प्लास्टिक की खाली-बेकार पड़ी बोतलों और अन्य कचरे से 300 से भी ज्यादा 'इको ब्रिक' बनाई हैं और इन इको ब्रिक का इस्तेमाल उन्होंने अपने स्लम में 'इको बेंच' बनाने के लिए किया है।
कोल्हापुर, महाराष्ट्र के रहने वाले इंजीनियर सिद्धार्थ भाटवडेकर ने अपनी 23 साल पुरानी वॉशिंग मशीन को कबाड़ में देने की बजाय, इसे खुद अपसायकल करके इससे दो कंपोस्टिंग बिन बनाई हैं। वह अब तक कई #DIY प्रोजेक्ट्स करके कुत्ते के रहने के लिए कैनल, 'बर्ड बाथ’ ‘फीडर' जैसी कई चीजें बना चुके हैं।