सूरज के कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ने के फैसले पर उनके बॉस ने उनका इंक्रीमेंट दोगुना कर देने की पेशकश की, लेकिन सूरज नहीं माने। अपनी नौकरी के दौरान सूरज ने जो पैसे बचाए थे उसे लेकर 2007-08 में वे यूपीएससी की कोचिंग लेने के लिए दिल्ली चले गए। लेकिन लगभग छह महीने में ही उनके पास पैसे खत्म हो गए।
सेंटर चलाने के लिए संजय किसी से भी आर्थिक मदद नहीं लेते हैं और न ही उन्होंने कोई एनजीओ बना रखा है। सेंटर का सारा खर्च संजय अपनी सैलरी से खुद उठाते हैं।