छोटी नदियों और पहाड़ियों के से घिरे ‘किसान ईको फार्मस्टे’ में प्रकृति का बेहद खूबसूरत नज़ारा देखा जा सकता है। मुंबई से थोड़ी ही दूर हरियाली के बीच बसे इस ईको-फ्रेंडली फार्मस्टे में रहने का अनुभव काफ़ी अनोखा है।
जंगल के बीच नीलगिरी की खूबसूरत वादियों में बना 'जंगल हट' होमस्टे 1986 से मेहमानों का स्वागत कर रहा है। प्रकृति के बीच रहने के अलावा यहाँ ट्रेकिंग, जंगल सफारी और बर्ड वाचिंग जैसी एक्टिविटीज़ करने भारत के अलग-अलग हिस्सों से लोग ठहरने आते हैं।
बेंगलुरु का सबसे पहला सस्टेनेबल और वीगन कैफ़े है 'हैप्पीनेस कैफ़े', जहां 100% प्लांट बेस्ड और टेस्टी खाने का स्वाद तो मिलता ही है, इसके अलावा इस अनोखे कैफ़े में प्रकृति के करीब रहने का एहसास मेहमानों को कुछ दिन यहीं ठहरने पर मजबूर कर देता है।
मनाली से 8 Km दूर कन्याल गांव में बना 'जंगल हट' हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बड़े-बड़े आलिशान और सुविधाजनक होटल छोड़कर लोग इंजीनियर अतुल बोस के इस मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने होमस्टे में ठहरने आते हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति के बीच रहने और सस्टेनेबल लिविंग का अनुभव मिलता है।
बेंगलुरू स्थित आर्किटेक्चर फर्म ‘मेसन्स इंक’ के संस्थापक रोजी पॉल और श्रीदेवी चंगाली, अपनी संस्था के तहत हेरिटेज कंजर्वेशन, अर्थेन स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामान्य लोगों को इसके महत्व को लेकर जागरूक की दिशा में वर्षों से प्रयासरत हैं।
रीसाइकल्ड प्लास्टिक से बनाए इस घर में एक बड़ा कमरा होने के साथ ही, एक स्टोर रूम, बाथरूम, रसोई, और आँगन भी हैं। इसे बनाने में करीब 1,500 किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग किया गया है।
"भारत में ग्रीन बिल्डिंग को लेकर जिस प्रैक्टिस को अपनाया जा रहा है, उससे घर में ऊर्जा की काफी खपत होती है और यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।” - संजय प्रकाश
बिजू भास्कर ने 15 साल पहले राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के कई गाँवों का दौरा कर भारतीय वास्तुकला के संबंध में जानकारियों को इकठ्ठा किया। इसके बाद, उन्होंने इन जानकारियों को लोगों तक पहुँचाने के लिए थनल की स्थापना की, जिसका हिन्दी अर्थ है - परछाई।