चाहे खाने-पीने की बात हो या रहने के तरीकों की, जिस तरह पुराने ज़माने में लोग ज़्यादा से ज़्यादा प्राकृतिक चीज़ों का इस्तेमाल करते थे। उसी तरह राजस्थान के किसान कान सिंह निर्वाण भी अपना जीवन जीते हैं। वह और उनका परिवार साधारण और पारंपरिक तरीकों में विश्वास रखते हैं। इसी सिद्धांत पर चलते हुए वे अन्य लोगों को भी सस्टेनेबल तरह से जीने के फायदों से अवगत कराते हैं।
इसी उद्देश्य से उन्होंने सीकर शहर में एक अनोखा देसी फार्मस्टे बनाया है। जिसे उन्होंने जोर की ढाणी नाम दिया है और इसे सिर्फ़ गाय के गोबर, और मिट्टी से तैयार किया गया है।
देसी अनुभव कराता है जोर की ढाणी
साल भर इस फार्मस्टे में देश-विदेश और आम व ख़ास लोगों का आना-जाना लगा रहता है। मेहमान कहीं से भी आएं, इस घर में रहकर वे पूरी तरह भारतीय संस्कृति और परम्पराओं में घुल-मिल जाते हैं।
साल 2005 में, इस देसी घर को किसान कान सिंह निर्वाण व उनकी पत्नी सुशीला राठौर ने बनाया था। कान सिंह प्राचीन सिद्धांतों को काफ़ी ज़्यादा मानते हैं और उनपर निर्भर करते हैं। वह सालों से गाँव के कई किसानों को भी पारंपरिक खेती की ओर जागरूक करने का काम करते आ रहे हैं।
उनके इस कार्य के लिए उन्हें कई अवार्ड के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री से भी सम्मान मिल चुका है। अपने इन्हीं सिद्धांतों के चलते उन्होंने गाय के गोबर, मिट्टी, भूस, लकड़ी, बांस जैसी नेचुरल चीज़ों से जोर की ढाणी को बनाया है।
सस्टेनेबल जीवन जीना सिखाता है यह राजस्थानी फार्मस्टे
पाँच बीघा ज़मीन पर बने इस फार्मस्टे को इनोवेटिव घर भी कहा जाता है। क्योंकि यह विज्ञान और संस्कृति के मिश्रण से चलता है। ऊर्जा के लिए यहाँ बायो गैस और सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, आने वाले मेहमानों को घुड़सवारी के अलावा देसी तरीके से खेती करना सिखाया जाता है और सुबह-शाम शुद्ध व ताज़ा भोजन परोसा जाता है।
यहाँ का जैविक खान-पान, शुद्ध हवा और हज़ारों पेड़-पौधे मेहमानों को ग्रामीण और प्राकृतिक माहौल में रहने का बेहतरीन अनुभव कराते हैं।
गाय के गोबर और खेत की मिट्टी के ईंटों से इस घर के कमरों और यहाँ मौजूद कॉटेजेज़ को बनाया गया है। छत बनाने के लिए स्थानीय पेड़ों की लड़की और अन्य लोकल मटेरियल्स का उपयोग किया गया है। सौ प्रतिशत नेचुरल होने के कारण यह घर प्राकृतिक रूप से गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रहता है। राजस्थान की तपती गर्मी में भी यहाँ पंखे और एसी की बहुत कम ज़रूरत ही पड़ती है।
इस फार्मस्टे के हर कमरे की अपनी अलग विशेषताएं हैं। जैसे यहाँ के मेडिटेशन रूम की छत के लिए ख़ास निर्माण तकनीक का इस्तेमाल किया है। जो बिना किसी पिलर या सरिया के सपोर्ट से केवल ईंटों से बनी है। कुछ कमरों को आधुनिक लुक देने के लिए उनमें वेदिक प्लास्टर किया गया है।
दीवारों पर बनी हस्तशिल्प कलाएं, सोने के लिए पड़ी चारपाई, पेड़ के निचे चूल्हे पर पकता भोजन और दूध, दही रखने के लिए प्राचीन पिंजरे जैसी चीज़ें जोर की ढाणी को और भी देसी, ईको-फ्रेंडली व आकर्षक बनाती हैं।
यह फार्मस्टे मुख्य रूप से गाय के महत्व को दर्शाता है और लोगों को साधारण व सस्टेनेबल जीवन जीना सिखाता है।
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