* 'धूप में घोड़े पर बहस' यह केदारनाथ सिंह की एक प्रसिद्ध कविता है. आज शनिवार की चाय में यह कविता आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं राष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता फिल्मकार / अभिनेता रजत कपूर :
नारी-विमर्श में पुरस्कार प्राप्त कवि अपनी पत्नियों को नौकरानी बना कर अपना काम बजा लेने वाली ही समझते हैं. 'उच्छृंखल नदी हूँ मैं' लिखने वाली कवियित्रियाँ एक साँस घुटते रिश्ते में जी रही होती हैं..
फ़ेसबुक जन्य डिप्रेशन के 70% लोग शिकार हैं. सोशल मीडिया की मछलियाँ अपनी पींग में कम खिलती हैं, दूसरों की डींग में अधिक गलती हैं. चमक-दमक एकमात्र गहना है. लोग लगातार जो नहीं हैं वह दिखने के लिए मरे जा रहे हैं.
मानव कौल एक अभिनेता होने के साथ-साथ, एक परिपक्व नाटककार भी हैं. हिन्दी कविता प्रोजेक्ट में आरम्भ से ही जुड़े थे. आज के वीडियो में उनके एक नाटक 'इल्हाम' से एक कविता 'रेखाएँ' आप के लिए प्रस्तुत है