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बेटी के आख़िरी चार सपने पूरे करने निकला था यह पिता; हज़ारों बच्चों की दुआएं लिए चला है आज भी!

"14 मार्च, 2015 की सुबह 8:00 बजे करनाल के ट्रॉमा सेंटर से एक पुलिसवाले का फोन आया। पूछा गया कि क्या आप नेहा के पापा बोल रहे हैं? इस पर मैंने कहा 'हाँ', तो वह बोले आपकी बच्ची बुरी तरह घायल है, आप जितना जल्दी हो सके करनाल आ जाइये। यह सुनते ही मैं हक्का-बक्का रह गया।"