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22 बेसहारा बुजुर्गों की आशा है यह 30 वर्षीया महिला, सेवा के लिए छोड़ा अपना खुद का परिवार

By प्रीति टौंक

पिता को दिए एक वचन के लिए डीसा (गुजरात) की 30 साल की आशाबेन राजपुरोहित ने अपनी गृहस्थी छोड़ दी और अब वह एक बेटी की तरह 22 बुजुर्गों की सेवा करती हैं।

एक आश्रम और 300 बुज़ुर्ग- प्यार की तलाश में भटकते इस शख़्स की कहानी आपके दिल को छू जाएगी

By प्रीति टौंक

अडूर (केरल) के रहने वाले राजेश थिरुवल्ला ने अपना बचपन ग़रीबी में, माता-पिता के प्यार के बिना ही गुज़ार दिया। लेकिन आज वह एक नहीं, 300 बुज़ुर्गों के बेटे हैं और सबकी ज़िम्मेदारी बड़े प्यार से उठा रहे हैं। पढ़ें, महात्मा जनसेवा केंद्रम के संस्थापक राजेश थिरुवल्ला की कहानी।

20 सालों से डॉक्टर दंपति कर रहे नेक काम, सड़कों पर भटक रहीं 500 कमजोर महिलाओं की बचाई जान

अहमदाबाद के डॉ राजेंद्र और डॉ सुचिता धमाने का ‘मौली सेवा प्रतिष्ठान’, मानसिक रूप से बीमार उन महिलाओं की देखभाल करता है, जिन्हें परिवार ने छोड़ दिया है।

मदद के लिए बैंक बैलेंस नहीं, दिल होना चाहिए बड़ा; पढ़ें 25 वृद्धों वाले इस परिवार की कहानी

By प्रीति टौंक

ओड़िशा के रहनेवाले किसान, जलंधर पटेल के पास खेत और घर भले ही बड़ा न हो, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। सिर्फ चार एकड़ खेत से, वह अपने परिवार का खर्च चलाने के साथ-साथ, 25 बेसहारा बुजुर्गों को भी आसरा दे रहे हैं।

दिल्ली: वृद्धाश्रम में मुफ्त इलाज और झुग्गियों में रोज़गार पहुंचा रहे हैं AIIMS के डॉ. प्रसून

डॉक्टरों को भले ही भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। दिल्ली स्थित एम्स में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी अपने पेशे के साथ-साथ सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन करते हए ओल्ड एज होम में रहनेवाले इन बुजुर्गों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे हैं।

बुजुर्गों की माधुरी माँ, जो बच्चों की तरह करती हैं उनकी देखभाल!

By नीरज नय्यर

‘अपना घर’ केवल नाम का ही ‘अपना’ नहीं है। यहाँ रहने वाले बुजुर्गों को हर वो आज़ादी है, जो शायद कभी उन्होंने अपने घर में महसूस की होगी।