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नौकरी छोड़ लौटे स्वदेश, संवार रहे लाखों बच्चों व महिलाओं की जिंदगियां

By अंकित कुंवर

पिछले साल की बात है जब अमेरिका के एक संगठन ने भारत के लगभग एक लाख जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहायता पहुंचाई। इस संगठन ने जरूरतमंद परिवार के बच्चों को आर्थिक रूप से सबल बनाने की कोशिश की है। आज हम उस संगठन की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यह एक ऐसे एनआरआई (NRI) की कहानी है, जिन्होंने शिक्षा के लिए अपना शहर छोड़ दिया था।

कभी आजीविका के लिए बांटे अखबार, आज ऑस्ट्रेलिया में खड़ी की कंपनी, टर्नओवर है 10 करोड़ रु

By निशा डागर

अलीगढ़ के रहने वाले आमिर कुतुब, बहुत से सपने लेकर ऑस्ट्रेलिया पहुँचे थे। लेकिन वहाँ उन्हें आजीविका के लिए, एयरपोर्ट पर सफाई कर्मचारी और अखबार बाँटने का काम करना पड़ा। उन्होंने हार मानने की बजाय, दिन-रात मेहनत कर, अपनी खुद की कंपनी शुरू की। जिसका टर्नओवर आज 10 करोड़ रुपए है।

अमेरिका व कनाडा में 17 करोड़ डोसे बेच चुका है यह NRI, घर गिरवी रखकर शुरू किया था बिज़नेस

अमेरिका में मणि कृष्णन के बिज़नेस का सफ़र महज 10 दुकानदरों को डोसा बेचकर शुरू हुआ था।

भारत के 2 लाख से भी ज़्यादा ग्रामीण बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं अमरीकी NRI बिस्वजीत नायक

“मेरे कई सहयोगी भारत के लिए कुछ करना चाहते थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि क्या और कैसे करें। इस मॉडल से मैंने उन्हें दिखाया कि हर कोई अपने तरीके से मोहन भार्गव (स्वदेस में शाहरूख खान की भूमिका) कैसे बन सकता है।”

20 सालों से अप्रवासियों के मृत शरीर को देश वापस लाने का नेक काम करते हैं अशरफ!

अभिनेत्री श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को देश वापस लाने के लिए एयरलाइंस की फीस में छूट दिलाने में मदद करने से लेकर अशरफ पिछले 20 सालों में ऐसे कई नेक काम कर चुके हैं, जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड और यहां तक की मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है।

दुबई की नौकरी छोड़ लौट आए स्वदेश, अब उगाते हैं 550 प्रकार के फल!

By पूजा दास

विलियम जब दुबई से नौकरी छोड़ अपने घर वापस लौटे और फलों की खेती शुरू की तो उनके दोस्तों और रिश्तेदारों को यह फैसला अजीब लगा। उन्होंने विलियम को आगे बढ़ने से हमेशा हतोत्साहित किया। लेकिन आज विलियम की सफलता ने उन्हें गलत साबित कर दिया है!

विश्व स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा दास के लिए फ़िनलैंड में रहनेवाले भारतियों ने मिलकर भेजे 1 लाख रूपये!

By निशा डागर

असम में ढिंग से ताल्लुक रखने वाली 18 वर्षीय हिमा दास एक किसान की बेटी हैं। उसने आईएएएफ वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में टेम्पेरे में 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है। फ़िनलैंड में रहने वाले भारतीयों ने हिमा के लिए 1 लाख रूपये इकट्ठे कर उनके अकाउंट में जमा कराये।