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असम: खराब रेडियो ठीक करते-करते बन गए इनोवेटर, मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

By निशा डागर

असम के धेमाजी में रहने वाले नबजीत भराली ने जरूरतमंदों व दिव्यांगजनों के लिए कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

अनाथ बच्चों की हर ज़रूरत का ख्याल रखती है यह संस्था, कोई बना डॉक्टर तो कोई इंजीनियर!

एसओएस में पले-बढ़े करमजीत एक आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनका मानना है कि वह शायद एक चोर-उचक्के बन गए होते अगर उन्हें बचपन में सही दिशा नहीं दी जाती। पहले करमजीत ने अपनी मेहनत से एक घर बनाया और आज वह शादीशुदा हैं साथ ही उनका एक बेटा भी है।

पुराने अख़बारों के इस्तेमाल से कैसे सजाए घर, सीखिए नासिक की इस गृहणी से!

Maharashtra में नासिक की एक गृहणी, मीना पाटनकर अख़बारों को रीसायकल करके क्रियात्मक और सुंदर हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बना रही हैं। उनकी बनाई पेपर की गुड़िया शहरभर में मशहूर है और लोग उन्हें इसके लिए ख़ासतौर पर ऑर्डर देने आते हैं।

90 या 99 नहीं बल्कि 60% लाने पर है इस माँ को अपने बेटे पर गर्व!

By निशा डागर

दिल्ली की रहने वाली वंदना सुफिया कटोच ने CBSE का रिजल्ट आने के बाद 6 मई, 2019 को फेसबुक पर अपनी पोस्ट शेयर की। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि 10वीं क्लास में उनके बेटे के 60% अंक आये हैं और वे अपने बेटे की इस कामयाबी पर बहुत खुश हैं!

झारखंड: चपरासी का काम करते हुए भी बेटों को बनाया आईएएस, डॉक्टर और इंजिनियर!

झारखंड में रजरप्पा के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड टाउनशिप में चपरासी के पद पर काम करने वाली 60 वर्षीय सुमित्रा देवी के विदाई समारोह में उनके सहकर्मियों और टाउनशिप के निवासियों के साथ-साथ उनके तीनों बेटे भी मौजूद थे। उनके बेटे आज जिला कलेक्टर, डॉक्टर और रेलवे इंजिनियर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।