यह बीना की ही मेहनत है, जिस कारण अब मशरुम की खेती उनके 105 पड़ोसी गाँवों में भी मशहूर हो गई है। इन इलाकों से बीना ने करीब 10,000 ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दी है।
कोरोना वायरस के वैश्विक संकट के बीच लॉकडाउन के दौरान जहाँ कई युवाओं का रोजगार छिना तो वहीं बबिता ने लॉकडाउन के दौरान भी मटर, भिंडी, शिमला मिर्च, बैंगन, गोबी सहित विभिन्न सब्जियों का उत्पादन कर आत्मनिर्भर मॉडल को हकीकत में उतारा।
पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की रहने वाली सुशीला के गाँव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उनके पास चाय के बागान में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना ही एक मात्र विकल्प था लेकिन फिर भी उन्होनें हार नहीं मानी!