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इनसे सीखें: जब डगर-डगर पर हो अगर-मगर तो कैसे जिएँ अपने सपनों को

By नेहा रूपड़ा

यह कहानी है महज 3 महीने में अपने माँ-पिता से अलग हुई और 8 साल की उम्र में भाई बहनों की ज़िम्मेदारी निभाने वाली माया बोहरा की, जिन्होंने अपनी शिक्षा के लिए अपनों से ही बगावत की और आज वह लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम कर रही हैं।