बिहार के शेखपुरा के रहने वाले डॉ. रामनंदन सिंह, रिम्स रांची से एमबीबीएस करने के बाद, बीते 35 वर्षों से अपने गांव में लोगों की मामूली फीस पर इलाज कर रहे हैं। उनके पास आसपास के कई जिलों के मरीज आते हैं।
मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले कुणाल वैद पहले टेक्सटाइल इंडस्ट्री में काम करते थे, लेकिन 2011 में झारखंड दौरे के दौरान महिला बुनकरों को हाथ से रेशम का धागा बनाते देख, उन्हें कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली।
तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में रहने वाले एम शक्तिवेल के कस्बे में पहले बिजली की कोई सुविधा नहीं थी। उनके प्रयासों से कस्बे में 15 सोलर पैनल लगे और लोगों की जिंदगी से अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो गया। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
निर्मल वर्मा ने अपने जीवन में ‘वे दिन’, ‘लाल टीन की छत’ जैसी कई रचनाओं को अंजाम दिया। लेखनी में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले कमलजीत सिंह हेयर के परिवार में हुई कुछ घटनाओं ने उन्हें बैचेन कर दिया। इससे उन्हें वकालत छोड़, प्राकृतिक खेती अपनाने की प्रेरणा मिली। आज उन्होंने अपने 20 एकड़ जमीन को खेती के एक ऐसे मॉडल के रूप में विकसित किया है, जो हर किसान के लिए आदर्श है।
मध्य प्रदेश के देवास में रहने वाले मनोज पटेल पेशे से एक किसान हैं। लेकिन उन्होंने लोगों की मदद करने का जो जिम्मा उठाया है, वह सराहनीय है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
विश्वनाथन आनंद की गिनती शतरंज के इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में होती है। उन्होंने अपने जीवन में पांच बार वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप जीता है। आनंद की इस सफलता के पीछे उनकी माँ सुशीला आनंद का बड़ा हाथ है।
राजस्थान के बीकानेर जिले के देसली के रहने वाले रवि बिश्ननोई 2006 से मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्टिंग कर रहे थे। लेकिन, 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ खेती की राह चुनी।
नागालैंड का शिन्न्यु गांव (Nagaland Village) भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। 44 साल पहले बसे इस गांव में बिजली की कोई सुविधा न थी। लेकिन, एक सरकारी शिक्षक के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें एक नई उम्मीद दी है। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!
अपनी लाजवाब कविताओं और शानदार अभिनय के लिए मशहूर अभिनेता आशुतोष राणा ने एक पोस्ट के जरिए एक बार फिर अपने प्रशंसकों का दिल जीत लिया। पढ़ें क्या थी वह पोस्ट।