उत्तर प्रदेश के बांसा के रहने वाले जतिन सिंह ने वकालती की पढ़ाई की है और फिलहाल यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपने गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक कम्युनिटी लाइब्रेरी की शुरुआत की। जानिए इससे हजारों छात्रों को कैसे फायदा हो रहा है।
मध्य प्रदेश के डिंडोरी की रहनेवाली दुर्गा बाई व्योम को सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया है। लेकिन उनके यहां तक पहुंचने की राह काफी मुश्किल रही है। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
ओडिशा के पंकज कुमार तरई, बीते 16 सालों से सड़क हादसे के शिकार लोगों को बचाने की मुहिम में लगे हैं। इसके लिए वह अपनी 30 फीसदी कमाई खर्च कर देते हैं। पढ़िए मानवता की यह प्रेरक कहानी!
डॉ. गुरुप्रसाद महापात्रा को सरकार ने मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। 1986 बैच के इस आईएएस अधिकारी को गुजरात में विकास को एक नई ऊंचाई देने के लिए जाना जाता है। जानिए उनके बारे में खास बातें!
डॉ. एनपी मिश्रा को हाल ही में मरणोपरांत पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें मध्य प्रदेश के चिकित्सा जगत का पितामह माना जाता है, जानिए क्यों!
महाराष्ट्र में अमरावती के रहनेवाले भावेश वानखेड़े, अपनी कंपनी “ट्राइब ग्रोन” के तहत कई तरह के दुर्लभ शहद, हल्दी, चावल जैसे उत्पादों का कारोबार करते हैं। इससे 1200 से अधिक आदिवासी किसानों के जीवन में नया सवेरा आया है।
53 वर्षीया रंजू कुमारी बीते दो दशकों से एएनएम के रूप में काम कर रही हैं। उन्हें कोरोना काल में लोगों की दिन-रात सेवा करने के लिए 'राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
साल 2016 में मथुरा के रहनेवाले सिकांतो मंडल ने ‘स्वच्छता कार्ट’ का आविष्कार किया था। कूड़ा बीनने वाले इस मशीन के लिए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित भी किया गया था। पढ़िए इनोवेशन की यह प्रेरक कहानी!