चेन्नई की महक परवेज़ ने एक अनोखे 'सन हार्वेस्टेड कूलरूम्स' का आविष्कार किया है। यह कोल्ड स्टोरेज का एक सस्टेनेबल विकल्प है जो फलों और सब्जियों को बिना बिजली के भी ताज़ा रख सकता है।
असम के सीरियल इनोवेटर कनक गोगोई का बनाया छोटा और किफायती ट्रैक्टर, किसानों की मदद करने के साथ-साथ, बेरोज़गार युवाओं को खेती से जोड़ने के लिए काफी उपयोगी है। कनक को उनकी ग्रेविटी ऑपरेटेड साइकिल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है।
डॉ. अनिल राजवंशी ने बीते चार दशकों में तकनीक के जरिए गांवों के विकास को एक नई ऊंचाई दी है। उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए सरकार ने उन्हें हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
मालेगांव के समीप स्थित एक छोटे से गांव तारपाडा के रहनेवाले युवा किसान कमलेश, खेती को आसान बनाने के लिए जुगाड़ बनाते थे। अपने जुगाड़ को और किसानों तक पहुंचाने की सोच के साथ, वह 'Shark Tank India' में गए थे।
उड़ीसा के कामगाँव की रहने वाली लिप्सा प्रधान, महुआ चुनने वाले परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अपनी माँ के दर्द को देख, उन्होंने महुआ बीनने के लिए एक ऐसी मशीन बनाई, जिससे दिन भर का काम घंटे भर से भी कम समय में हो सकता है।
पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा E-Tractor बनाया है, जिससे न सिर्फ 25 फीसदी पैसों की बचत हो सकती है, बल्कि लाखों टन जहरीले गैसों का उत्सर्जन भी कम होगा।
IIT खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करनेवाले अजित कुमार और सागर कुमार, कहलगाँव में 'Stepupify Labs' के नाम से अपना एक स्टार्टअप चला रहे हैं और इसके तहत उन्होंने किसानों की मदद के लिए 'Farm Surveillance-Cum-Animal Scare' डिवाइस बनाया है।
डिब्रूगढ़, असम के रहने वाले 56 वर्षीय चाय किसान, दुर्लभ गोगोई ने 15 से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई हैं। जिनमें चाय, धान, हल्दी, अगर और अदरक जैसी फसलों को प्रोसेस करने वाली मशीनें शामिल हैं।