बेंगलुरु के डॉ. प्रभाकर राव, हरियाली सीड नाम से एक ऐसा सीड बैंक चला रहे हैं, जिसमें आपको 500 से ज्यादा देसी किस्म के सब्जियों के बीज मिल जाएंगे। उन्होंने साल 2011 में दुबई में आर्किटेक्ट का काम छोड़कर देसी सब्जियों की खेती शुरू की।
बरगढ़ (ओडिशा) के एक छोटे से गांव काटापाली के सुदाम साहू, साल 2001 से देसी बीज जमा करने का काम कर रहे हैं। आज उनके पास तक़रीबन एक हजार धान और 60 से ज्यादा दालों और सब्जियों के देसी बीज मौजूद हैं।
मोहान बोरा की 'अन्नपूर्णा लाइब्रेरी' का सिद्धांत है कि बीज बोइए, कुछ फसल में जाने दीजिए और कुछ को सहेजिए ताकि दूसरों को उगाने के लिए दिया जा सके। फिर अन्य किसान चाहें तो कुछ आपको वापस कर सकते हैं और कुछ आगे दूसरे किसानों को दें!
नंदा कुमार ने अपने गाँव में चार डंपिंग यार्ड और दो प्राइमरी स्कूलों की खाली जगहों को मिनी फार्म में बदला है। यहाँ पर उगने वाली सब्ज़ियां गाँव के लोगों द्वारा और मिड डे मील के लिए इस्तेमाल किया जाता है!
"साल 2008 में जब कैंसर के चलते मैंने अपनी पत्नी को खो दिया, तो मुझे लगा कि मैं अपने लेवल पर लोगों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए जो कर सकता हूँ, ज़रूर करूँगा।"